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दिल्ली बना दुनिया में कैनबिस का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता

दिल्ली बना दुनिया में कैनबिस का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता

एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत की राष्ट्रीय राजधानी दुनिया में मरिजुआना का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जिसका वार्षिक खपत 38.26 मीट्रिक टन या 38,260 किलोग्राम है।दिल्ली वह शहर है जो राजनीति, सत्ता और पंजाबी संगीत पर के लिए जाना जाता है। लेकिन एक अध्ययन में यह बात निकल के आई है यहाँ 'मरिजुआना' का खपत भी उतना ही है।


बता दें कि हाल में ही एबीसीडी ने एक स्टडी की और इसका नाम '2018 कैनबिस प्राइस इंडेक्स' अध्ययन दिया गया। यह संस्था एक डेटा-संचालित मीडिया अभियान आउटलेट है, जिसने 2018-19 के लिए एक नया डेटा जारी किया है, जिसमें दुनिया भर के 120 शहरों में मरिजुआना उत्पादकों और खपत का आंकड़ा पेश किया गया। और इसी अध्ययन में दिल्ली को मरिजुआना खपत सूची में तीसरा स्थान दिया गया है।नारकोटिक्स डिपार्टमेंट ने एक रिसर्च एंड डेवलोपमेन्ट प्रोजेक्ट तैयार किया है जिसमें कैनबिस में पाए जाने वाले सीबीडी और टीएचसी पदार्थ जिसको आम भाषा में गाँजा भी कहते हैं उसके ऊपर एक वृहत अध्ययन किया जाएगा। और इस प्रोजेक्ट की स्वीकृति वित्त मंत्रालय ने दी है।

अध्ययन में, न्यूयॉर्क (यूएसए) और कराची (पाकिस्तान) के बाद, कैनबिस के उच्चतम खपत वाले शीर्ष 10 शहरों में दिल्ली का स्थान है और वहीं, मुंबई ने भी 32.38 टन या 32,380 किलोग्राम के औसत खपत के साथ, छठे स्थान पर होते हुए शीर्ष दस में अपनी जगह बनाई है।दिल्ली में मरिजुआना की खपत को 'आंशिक' रूप से कानूनी के रूप में उल्लेख किया गया है। वैसे भारत में मरिजुआना की वैधता की स्थिति काफी हद तक भ्रामक है। भारत में 'कैनबिस' को दो रूपों में, हेम्प और कैनबिस प्लांट के तहत परिभाषित किया जा सकता है।  कैनबिस के पौधे का मतलब होता है कि जीन कैनबिस का कोई भी पौधा, लेकिन हेम्प को 'चरस' के रूप में भी जाना जाता है। भारत में नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1985 कानून के तहत इन सब पदार्थों को विनियमित किया जाता है।


अनिवार्य रूप से, भारत में कैनबिस रेसिन और फूलों के उत्पादन और बिक्री पर प्रतिबंध है, लेकिन पत्तियों और बीजों के उपयोग की अनुमति है। इसका तात्पर्य यह है कि 'चरस' और 'गांजा' का उत्पादन गैरकानूनी है, लेकिन बीज और पत्तियां, जो 'भाँग' का निर्माण करती हैं, कानूनी है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि मरिजुआना के मामले में दिल्ली दुनिया के सबसे कम महँगे शहरों में से एक है। यहाँ प्रति ग्राम की कीमत केवल 4.38 अमरीकी डालर है, या 315 रुपये है।



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