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दिल्ली बॉर्डर पर न तो बिहार के किसान हैं और न कभी कृषि बिल का विरोध जताया, लेकिन भारत बंद के नाम पर सेंकी जा रही है सियासी रोटी

दिल्ली बॉर्डर पर न तो बिहार के किसान हैं और न कभी कृषि बिल का विरोध जताया, लेकिन भारत बंद के नाम पर सेंकी जा रही है सियासी रोटी

पटना...  कृषि कानून के खिलाफ किसान सड़कों पर हैं। वह केंद्र सरकार से कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच, विभिन्न किसान संगठनों की ओर से आज यानी 8 दिसंबर को भारत बंद करने का आह्वान किया है। इस भारत बंद को बिहार में महागठबंधन की ओर से सक्रिय समर्थन देने का निर्णय लिया गया है। गौरतलब है कि दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में न तो बिहार के किसान शामिल हैं और न ही कृषि बिल को लेकर कोई विरोध जताया है, लेकिन विपक्षी पार्टियों ने भारत बंद का समर्थन कर इस मुद्दे को हवा देना शुरू कर दिया है। किसानों का समर्थन कितना मिलता है, ये देखना होगा। जिसको लेकर सियासत भी शुरु हो गई है।

बिहार में किसानों के बहाने सियासत तब्दील हुई, जब राष्ट्रीय जनता दल के नेता किसानों के समर्थन में गांधी मैदान में उतर आए। जिसके बाद जेडीयू नेता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव पर तीखा तंज कसते हुए कहा कि जो लोग नौकरी के नाम पर किसानों से जमीन लिखवाए हुए हैं, वे पहले किसानों की जमीन लौटा दें, फिर समर्थन की बात करें। वहीं महागठबंधन ने भी पलटवार करते हुए कहा कि जेडीयू की सियासी जमीन खिसक गई है, इसलिए अर्नगल आरोप लगा रहे हैं। 

किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर भारत बंद बुलाया तो बिहार में किसानों की मांगों पर राजनीतिक दल सियासत की रोटी सेकने में जुट गई। बिहार की विपक्षी पार्टियों ने किसानों के बंद का समर्थन किया और फिर किसान के मुद्दे को लपक ने के मूड में है। यह हम नहीं कह रहे हैं ऐसा कहना है सत्ताधारी बीजेपी-जेडीयू गठबंधन वाली सरकार का है, जिन्होंने कहा कि विपक्षी दलों पास इनका कोई भी किसान संगठन नहीं है और न ही इनके पास कोई किसान मांग पत्र है। यह रस्म अदायगी करने के लिए और किसानों के बने बनाए आंदोलन में कूदने के लिए आतुर हैं। 

इधर, मंगलवार को किसान आंदोलन के नाम पर विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जमकर तांडव मचाना शुरू कर दिया। किसानाें संगठनों की ओर से 7 दिसंबर को जारी संदेश के बावजूद 11 बजे से पहले ही बिहार में विपक्ष के कार्यकर्ता सड़क पर उतर आए। सुबह 7 बजे के बाद से दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पटना, खगड़िया, सहरसा व अन्य जिलों में बसों और ट्रेनों  के पहिए रोक दिए गए। कहीं प्रदर्शन के नाम पर पटरी पर कूदने कीे कोशिश की गई तो कहीं अधिकारियों की गाड़ियों को घेरा जाने लगा। 

पटना से मदन कुमार की रिपोर्ट




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