PATNA : समग्र संस्कृत विकास समिति, बिहार के वार्षिकोत्सव समारोह के अवसर पर भारतीय राष्ट्रीयता तथा अस्मिता के अग्रदूत एवं महान नीतिज्ञ चाणक्य के विचारों के दार्शनिक अध्ययन पर सेमिनार का संस्कृतमय वातवारण में भव्य आयोजन किया। यह कार्यक्रम पटना के राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन कर दरभंगा संस्कृत विवि के उपकुलपति प्रो. सिद्दार्थ शंकर सिंह ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के आचार्य प्रो. शिवानंद शुक्ल के मंत्रोच्चारण से हुआ। अपने उद्घाटन भाषण में प्रो. सिद्दार्थ शंकर सिंह ने कहा कि चाणक्य विश्व के सबसे महान दार्शनिक थे, जिनके अर्थशास्त्र की पुस्तक में प्रजातंत्र की भावना का विस्तृत वर्णन है। राजा का आचरण राष्ट्र हित के समर्पित था। डॉ मिथिलेश तिवारी ने कहा कि चाणक्य जैसे महान विभूति की आदमकद प्रतिमा पाटलिपुत्र की धरती पर होना चाहिए। कौटिल्यी अर्थशास्त्र संस्कृत साहित्य का अद्भुत ग्रंथ है। इसका अध्ययन भारत के सभी विवि में होना चाहिए। प्रो. के सी सिन्हा ने अपने विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि चाणक्य का दर्शन कल्याणकारी भावना पर आधारित है। राजा कभी स्वेच्छाचारी नहीं हो सकता।
मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचारों को प्रकट करते हुए प्रो. भागवद शरण शुक्ल ने कहा कि चाणक्य का दर्शन सभी को समान मानना था। सरल जीवन ही मानवता का आधार है। राजनीति स्वार्थ आधारित नहीं होना चाहिए। प्रो. हरि शंकर पांडेय ने कहा कि संस्कृत भाषा की वर्तमान स्थिति चिंतनीय है। सभी संस्कृतज्ञों एवं संस्कृत प्रेमियों को एक होकर इस भाषा की रक्षा के लिए आगे आना होगा। प्रो. नवल किशोर यादव के अनुसार, चाणक्य का दर्शन व्यवहार पर आधारित था। जीविका के तीन साधन अर्थशास्त्र में स्वीकार किया गया है और वह कृषि, पशुपालन और वाणिज्य है। प्रो. कनकभूषण मिश्र ने कहा कि चाणक्य के अर्थ शास्त्र के अध्ययन बिना राजनीति अधूरी है। प्रो. जितेंद्र कुमार समेत अन्य वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि चाणक्य महामंत्री होकर भी कुटिया में रहते थे। राज्य के धन का उपयोग राज्य के कार्य के लिए करते थे। राज्य की आंतरिक और बाह्य नीतियां सुदृढ़ होनी चाहिए। राज्य की रक्षा और प्रजा का हित चाणक्य की मूल नीति थी। संजय कुमार सिंह लिखित भारतीय समाज एवं संस्कृति पुस्तक का हुआ लोकार्पण,जिसके उपसंपादक डॉ कुमारी भर्ती भी मौजूद रहीं। वहीं, अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ रमेश चंद्र सिन्हा ने चाणक्य दर्शन की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि अर्थशास्त्र में वर्णित सप्त सिद्धांत अति महत्वपूर्ण है। राज्य के सात अंगों में स्वामी, अमात्य, जनपद, दुर्ग, कोष, दंड, मित्र भेद है। राज्य का उद्देश्य आर्थिक प्रगति न होकर मानव जीवन की सामाजिक, संस्कृतिक और शैक्षणिक प्रगति से था।
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी हुआ। चार पुस्तकों का लोकार्पण विशिष्ट अतिथियों द्वारा किया गया। डॉ मुकेश कुमार ओझा, डॉ विनय कृष्ण तिवारी, डॉ सुबोध कुमार सिंह, प्रो. नरेश कुमार सिंह आदि वक्ताओं ने विचार प्रकट किए। मोनिका झा ने संस्कृत में स्वागत गीत एवं संस्कृत में आधुनिक गीत प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, विद्यावाचस्पति डॉ विनय कुमार सिंह खगड़िया, विपिन सिंह डुमराव नवादा, शेखर सिंह शिक्षक पटना, डॉ संजय कुमार सिंह मुख्य संपादक, डॉक्टर कुमारी भारती जमशेदपुर, डॉ गीता अग्रवाल पूर्णिया, विद्याकर द्विवेदी बोधगया, डॉक्टर रोशनी कुमारी बाढ़, डॉ दीपांशु कुमार छपरा, शत्रुघ्न दुबे मोतिहारी, इंदु दुबे मोतिहारी, डॉक्टर नीतू कुमारी नूतन गायिका पटना, डॉ आर सी वर्मा राजस्थान, राजेश कुमार डॉक्टर संतोष कुमार साह छपरा, डॉक्टर कुमारी सोनी मद्धेशिया छपरा, डॉक्टर हरिराम उपाध्याय छपरा, डॉ सुनीता कुमारी, बलराम यादव, डॉक्टर विद्यानंद राम, शशि भूषण सिंह, डॉक्टर संजीव कुमार, डॉ अभिषेक कुमार, अमृता कुमारी, डॉक्टर विजय नारायण, गौतम, डॉ नंदकिशोर, डॉ कविता कुमारी, प्रीति सिंह, नीलिमा कुमारी, डॉ राजन कुमार, पप्पू कुमार, विभा कुमारी, डॉ मोहम्मद तसलीम, डॉ रवि कुमार पांडे को सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत सरकार के आई सी पी आर अध्यक्ष प्रो. आर सी सिन्हा, मुख्य अतिथि नालंदा खुला विवि के कुलपति प्रो. के सी सिन्हा, मुख्य वक्ता बी एच यू वाराणसी के व्याकरण विभाग के अध्यक्ष प्रो. भागवत शरण शुक्ल, सानिध्य संपूर्णानंद संस्कृत विवि के प्राकृत विभागाध्यक्ष प्रो. हरि शंकर पांडेय, विशिष्ट अतिथि विधान पार्षद प्रो. नवल किशोर यादव, पाटलिपुत्र विवि के कुलपति डॉ जितेंद्र कुमार, कॉमर्स कॉलेज के प्राचार्य डॉ तपन कुमार शांडिल्य, गुरूगोविंद सिंह महा विवि के प्राचार्य प्रो. कनक भूषण मिश्र, गया कॉलेज के प्राचार्य प्रो. दीपक कुमार, राजकीय संस्कृत महा विवि के प्राचार्य प्रो. मनोज कुमार, भारत तिब्बत मंच के उपाध्यक्ष राजेश कुमार सिंह, भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय मंत्री शिवकांत तिवारी ने की।
स्वागत भाषण समग्र संस्कृत विकास समिति, बिहार के संयोजक प्रो. मिथिलेश कुमार तिवारी, मंच संचालन बिहार संस्कृत संजीव समाज के महासचिव डॉ मुकेश कुमार ओझा एवं धन्यवाद ज्ञापन समग्र संस्कृत विकास समिति के सह संयोजक प्रो. ज्योति शंकर उपस्थित थे।