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उप मुख्यमंत्री ने की बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षा, अधिकारियों को दिये आवश्यक निर्देश

उप मुख्यमंत्री ने की बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षा, अधिकारियों को दिये आवश्यक निर्देश

खगड़िया. प्रदेश के उप मुख्यमंत्री रेणु देवी की अध्यक्षता में समाहरणालय सभाकक्ष में बाढ़ राहत कार्यों की समीक्षा की गई. इस दौरान जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से जिले में बाढ़ की वर्तमान स्थिति के साथ राहत एवं बचाव कार्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए उपमु ख्यमंत्री को अवगत कराया कि खगड़िया जिला अत्यंत बाढ़ प्रभावित जिला है एवं जिले से कुल पांच बड़ी नदियां गंगा, बूढ़ी गंडक, कोसी, बागमती और  कमला गुजरती हैं. इन नदियों के जलस्तर बढ़ने बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है. जिले के सभी प्रखंड आंशिक या पूर्ण रूप से बाढ़ से प्रभावित रहते हैं. इस दौरान उप मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिये.

कलेक्टर ने डिप्टी सीएम को बताया कि नदियों के अतिरिक्त वर्षा जल के निकासी नहीं होने के कारण कई क्षेत्र मानसून के दौरान जलमग्न हो जाते हैं और जलजमाव की स्थिति अक्टूबर तक बनी रहती है. कलेक्टर ने बताया कि जिले में कुल 11 पंचायत बाढ़ से पूर्ण प्रभावित एवं 44 पंचायत आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं. जिले में अब तक 20,279 पॉलिथीन सीट का वितरण और 9,487 फूड पैकेट का वितरण किया गया है. कुल 65 सामुदायिक रसोइयों और 3 राहत केंद्रों में 6,27,613 बाढ़ पीड़ित व्यक्ति भोजन कर लाभान्वित हुए हैं. बाढ़ से कुल प्रभावित जनसंख्या 2,32,089 है. बाढ़ से विस्थापित जनसंख्या 3,765 है. कुल 39,593 परिवारों को जीआर राशि के भुगतान के लिए चयनित कर इनके खाते में भुगतान कर दिया गया है.

जिलाधिकारी ने अभिनव प्रयोग "नौका पर टीका" अभियान और बोट एंबुलेंस के बारे में भी उप मुख्यमंत्री को जानकारी देते हुए बताया कि जो बाढ़ग्रस्त क्षेत्र है, वहां इनका उपयोग टीकाकरण एवं चलंत जल एंबुलेंस के रूप में किया जा रहा है. मधुरा ग्राम से नौका पर टीका अभियान शुरू किया गया था. जिलाधिकारी ने  बताया कि बाढ़ के कारण जिले में किसी की मृत्यु नहीं हुई है. जिले में कोविड की स्थिति भी सामान्य है. एसडीआरएफ की एक टीम काम कर रही है. चार प्रमुख तटबंध ऊपर समय पूर्व कटाव निरोधी कार्य पूर्ण करा लिया गया था. इसका परिणाम यह सामने आया कि अभी तक कहीं तटबंध क्षतिग्रस्त नहीं हुआ है और ये सुरक्षित हैं.

वर्तमान में बागमती नदी से कटाव ज्यादा हो रहा है. गृहक्षति के कुछ मामले सामने आए हैं. जनवरी से ही एसओपी के अनुसार बाढ़ की तैयारी प्रारंभ कर दी गई थी. जनप्रतिनिधियों के साथ भी बैठक करके उनका सुझाव प्राप्त किया गया था. पूर्व के बाढ़ में क्षतिग्रस्त सड़कों को मोटरेबल कराने की जानकारी भी दी गई है. फसल क्षति के आंकलन का कार्य किया जा रहा है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान के लिए बाढ़ से पूर्व से ही प्रचार प्रसार भी कराया जा रहा है. बाढ़ राहत शिविरों और सामुदायिक रसोइयों में बच्चों को दूध भी उपलब्ध कराया गया है. बाढ़ राहत शिविरों में लोगों को  कोविड  टीकाकरण एवं टेस्टिंग भी कराया गया.

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