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नीतीश सरकार का गजब का न्याय ! भ्रष्टाचार के आरोपी तीन धनकुबेर अवर निबंधक निलंबन मुक्त, पर फील्ड पोस्टिंग पर रोक...चौथे आरोपी को इसी विभाग ने दे रखा है फील्ड पोस्टिंग

नीतीश सरकार का गजब का न्याय ! भ्रष्टाचार के आरोपी तीन धनकुबेर अवर निबंधक निलंबन मुक्त, पर फील्ड पोस्टिंग पर रोक...चौथे आरोपी को इसी विभाग ने दे रखा है फील्ड पोस्टिंग

PATNA: भ्रष्टाचार से अकूत संपत्ति अर्जित करने के मामले में निलंबित चल रहे तीन जिला अवर निबंधकों को सरकार ने निलंबन मुक्त कर दिया है. हालांकि उन्हें फील्ड पोस्टिंग से दूर रखा गया है.मद्ध निषेध व निबंधन विभाग की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है. तीनों अवर निबंधकों के खिलाफ निगरानी ब्यूरो और विशेष निगरानी इकाई ने केस दर्ज कर छापेमारी की थी. रेड में ठिकानों से अकूत संपत्ति का पता चला था. हालांकि मद्ध निषेध विभाग के चौथे अधिकारी जिनके खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने आय से अधिक संपत्ति केस में छापा मारा था, सरकार ने न तो निलंबित किया और न ही फील्ड पोस्टिंग से हटाया. आज भी वो अधिकारी आराम से फील्ड की नौकरी कर रहे. विशेष निगरानी इकाई के सूत्रों का कहना है कि भ्रष्टाचार के आरोपी मोतिहारी के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक पर कार्रवाई को लेकर विभाग से पत्राचार किया गया था. इसके बाद भी एक्शन नहीं, उल्टें उन्हें आज भी फील्ड पोस्टिंग में रखा गया है. 

धनकुबेर अवर निबंधक निलंबन मुक्त 

मोतिहारी के तत्कालीन जिला अवर निबंधक बृज बिहारी शरण के खिलाफ 2 फरवरी 2022 को निगरानी ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था.इसके बाद मोतिहारी समेत पटना के ठिकानों की तलाशी ली। तलाशी में रिश्वत के पैसे से संपत्ति अर्जित करने का खुलासा हुआ था। इसके बाद मद्ध निषेध-निबंधन विभाग ने अवर निबंधक बृज बिहारी शरण को 21 फरवरी 2022 को निलंबित कर दिया था. समस्तीपुर के तत्कालीन जिला अवर निबंधक मणीरंजन के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने 16 दिसंबर 2021 को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस किया था. ठिकानों पर छापेमारी में 70 लाख से अधिक कैश मिला था,वहीं करोड़ों की चल-अचल संपत्ति का पता चला था। इसके बाद सरकार ने 18 दिसंबर 2021 को निलंबित कर दिया गया था .

न्यायालय के आदेश पर ही फील्ड पोस्टिंग 

पूर्णिया के तत्कालीन जिला अवर निबंधक उमेश प्रसाद सिंह के खिलाफ निगरानी ब्यूरो ने 12 फरवरी 2022 को आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया था. इसके बाद 15 मार्च 2022 को इन्हें निलंबित कर दिया गया. अब इन तीनों अधिकारियों को निलंबन से मुक्त करते हुए संवर्गीय पद पर पदस्थापित कर मद्ध निषेध का कार्य आवंटित किया गया है. यह तीनों अधिकारी इथेनॉल मूवमेंट का अनुश्रवण करेंगे. बृज बिहारी शरण को बांका में इथेनॉल मूवमेंट के अनुश्रवण की जिम्मेदारी दी गई है. वहीं मणिरंजन को गोपालगंज में इथेनॉल मूवमेंट का अनुश्रवण करेंगे . जबकि उमेश प्रसाद सिंह को हरिनगर, सुगौली लोरिया से इथेनॉल मूवमेंट को देखेंगे। मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने अपनी अधिसूचना में कहा है कि इन अधिकारियों का फील्ड पोस्टिंग नहीं होगा.  जब तक न्यायालय का निर्णय प्राप्त न हो जाए.


उत्पाद अधीक्षक को फील्ड की मलाईदार पोस्टिंग 

बता दें, मोतिहारी के तत्कालीन उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश के खिलाफ विशेष निगरानी इकाई ने 9 दिसंबर 2021 को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज कर छापेमारी की थी। एसवीयू का दावा था कि रेड में अकूत संपत्ति का पता चला है. नोट गिनने की मशीन के साथ-साथ अन्य दस्तावेज मिले थे। लेकिन विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपी उत्पाद अधीक्षक को निलंबित करने की बजाय सिर्फ वहां से हटा दिया। इसके कुछ दिनों बाद अप्रैल 2022 में ही भ्रष्टाचार के आरोपी अधीक्षक अविनाश प्रकाश को बेगूसराय का उत्पाद अधीक्षक के पद पर पोस्टिंग कर दी गई। इस तरह से भ्रष्टाचार के आरोपी को विभाग ने फील्ड पोस्टिंग दे दिया। जबकि निलंबन मुक्त किये गये इन तीनों अधिकारियों को न्यायालय का आदेश होने तक फील्ड पोस्टिंग से दूर रखा गया है। 

कमाई ऐसी - उत्पाद अधीक्षक पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप

एसवीयू की जांच में सामने आया कि कि अविनाश ने आय के वैध स्रोत से अधिक धनार्जन कर संपत्ति बनाई है। इसके लिए उन्होंने परिजनों व मित्रों तथा अन्य के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग कर कालेधन को सफेद बनाने का भी प्रयास किया है। एसवीयू के सूत्रों का कहना है कि इस मामलो को इडी को दिया जा सकता है. साथ ही अविनाश के मामले में जल्द चार्जशीट भी फाइल होगी ताकि आगे की कानूनी कार्रवाई की जा सके।

एसवीयू का दावा खुद और परिजनों के नाम पर भी जुटाई अकूत संपत्ति

तलाशी के दौरान 2 पासपोर्ट, 15 पासबुक, 4 इश्योरेंस से संबंधित दस्तावेज बरामद होने की बात सामने आई थी। उत्पाद अधीक्षक की पत्नी के नाम से कुल 41 डिसमिल में निर्मित तीन फ्लैट जिसकी कीमत 8.25 लाख और पिता के नाम से 800 डिसमिल जमीन जिसकी कीमत 48.5 लाख का पता चला था। अविनाश पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी सेवा में रहते हुए नाजायज ढंग से अकूत संपत्ति अर्जित की है जो उनके द्वारा प्राप्त वेतन एवं अन्य ज्ञात स्रोतों की तुलना में बहुत ही अधिक है।


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