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जन शिक्षा निदेशालय ने किया गांधी जयंती का आयोजन, राष्ट्रपिता के व्यक्तित्व और कृतित्व पर हुई चर्चा

जन शिक्षा निदेशालय ने किया गांधी जयंती का आयोजन, राष्ट्रपिता के व्यक्तित्व और कृतित्व पर हुई चर्चा

PATNA : आज जन शिक्षा निदेशालय, बिहार,पटना द्वारा गांधी जयंती समारोह का आयोजन ए०एन०सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान में किया गया। इस मौके पर संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग और सतीश चंद्र झा, विशेष सचिव-सह-निदेशक, जन शिक्षा ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखा कर प्रभात फेरी जत्था को रवाना किया। यह जत्था ए०एन० सिन्हा इंस्टीट्यूट से प्रारंभ होकर गांधी मैदान का परिक्रमा कर पुनः यहीं आकर समाप्त हुआ। प्रभात फेरी जत्था में साक्षरता कला जत्था के कलाकार और सैकड़ों शिक्षा सेवक बापू का भजन गाते साथ चल रहे थे। मुख्य मंच से कार्यक्रम पूर्वाह्न 11 बजे प्रारंभ हुआ जो लगभग 2 बजे तक चला। दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का उद्घाटन विजय कुमार चौधरी, मंत्री, शिक्षा विभाग, संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, असंगबा चुबा आओ, सचिव, शिक्षा विभाग, पद्मश्री प्रो० रामजी सिंह, महान गांधी विचारक, श्रीकांत, निदेशक,जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पुष्पेंद्र, विभागाध्यक्ष, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, पटना शाखा, मनोज कुमार, निदेशक, शिक्षा ने संयुक्त रूप से किया। बापू के फोटो पर सबने पुष्पांजलि अर्पित की और नम आंखों से राष्ट्रपिता को याद किया। विशेष सचिव सह-निदेशक, जन शिक्षा सतीश चंद्र झा ने पौधा भेंट कर सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत किया। अपने स्वागत भाषण में झा ने मंत्री, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग और गांधी विचार धारा के वयोवृद्ध विद्वान, पद्मश्री प्रो० रामजी सिंह एवं अन्य सभी अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति के लिए आभार प्रकट किया। पटना कला जत्था के कलाकारों ने बापू के दो प्रिय भजनों की प्रस्तुति कर शमां बांध दिया। 

महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की परिकल्पना के परिप्रेक्ष्य में "पंचायती राज संस्थाओं द्वारा महिला सशक्तिकरण" विषय पर बोलते प्रो० रामजी सिंह ने अपने जीवन के ढेर सारे अनुभव साझा किए। सिंह ने बताया कि गाँधीजी कहते थे कि महिलाओं को अगर चेतना आ जाएगी तो कोई उनके साथ ग़लत नहीं कर सकता। महिला एक दिव्य एवं दैविक शक्ति से परिपूर्ण होती है। इसीलिए इनकी पूजा होती है। पंचायतों की महत्ता का रेखांकन करते हुए कहा कि यदि पंचायत प्रभावी नहीं होंगे तो भारत मज़बूत नहीं होगा। इन्हें हर हाल में कारगर करना होगा और इसके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करने होंगे। इस क्रम में बिहार में जो बदलाव हुए हैं उनकी तारीफ़ भी की। यह भी कहा कि भारत माता ग्राम वासिनी है इस लिए हमें हर हाल में गांवों को सशक्त करना होगा। सिंह ने ज़ोर देकर कहा कि देश ही नहीं देश के बाहर भी शांति स्थापित करने के लिए गांधी के जीवन-दर्शन से सीख लेनी होगी और यही बापू के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्रीकांत ने बताया कि जब महिलाएं सत्याग्रह में शामिल होने आती थीं तब बापू उन्हें इस मार्ग की कठिनाइयों से अवगत कराते थे। बावज़ूद जब कोई महिला अपने निश्चय पर अटल रह जाती थी तभी सत्याग्रह में शामिल होने की सलाह देते थे। पुष्पेंद्र ने बापू से जुड़े अनेक प्रसंगों का उल्लेख किया और कहा कि हमें हर हाल में बापू के कथन- "आंख के बदले आंख, पूरे विश्व को अंधा बना देगी" को नहीं भूलना चाहिए। असंगवा चुबो आओ ने महिला सशक्तिकरण पर अपने प्रशासनिक अनुभव साझा किए। संजय कुमार, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को साथ स्मरण किया और उनके जीवन से जुड़े प्रेरक प्रसंगों को विस्तार से बताया। कुमार ने बापू से स्वच्छता सम्बंधी सीख लेने, समय का सदुपयोग करने और निश्छल हृदय रखने पर बल दिया।

विजय कुमार चौधरी, मंत्री, शिक्षा विभाग की ओजस्वी वाणी का स्रोताओं को जैसे हरदम इंतज़ार रहता है, यहाँ भी था।  मंत्री बोले और ख़ूब बोले। सबसे बड़ी ख़ासियत ये रही कि इन्होंने कहीं भी ख़ुद का श्रेय नहीं लिया। सब कुछ सबको साझा करते गए। पद्मश्री के प्रति अपार सम्मान प्रकट करते हुए कहा कि यह सौभाग्य की बात है कि सिंह गांधी दर्शन बताते नहीं बल्कि गांधी दर्शन कराते भी हैं। आपके दर्शन मात्र से हम सभी बापू के दर्शन भी कर लेते हैं। कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए चौधरी ने कहा कि आजादी के बाद की पीढ़ी वंचित पीढ़ी है क्योंकि उसे गांधी को सुनने या देखने का अवसर नहीं मिला है। आज सिंह के सानिध्य मात्र से वह सौभाग्य भी मिल गया। फिर बापू के चम्पारण सत्याग्रह की सफलता का जीवंत वर्णन करते हुए कहा कि इसने मोहन को महात्मा बना दिया। अपने जीवन के अनूठे प्रसंगों को भी साझा किया। इसमें द० अफ्रीका, युगांडा और मिस्र जैसे देशों में बापू की प्रासंगिकता का सम्यक आरेखन कर बापू से जुड़े अनेक प्रसंगों को सविस्तार सुनाया। यह भी कहा कि स्वराज का सही मतलब किसी अन्याय के खिलाफ़ व्यक्ति में आई हिम्मत ही है। बापू के कई अनूठे प्रेरक प्रसंगों पर बोलते हुए चौधरी ने कहा कि बाबू अक्सर कहा करते थे कि अगर वे महिला होते तो किसी की प्रताड़ना नहीं सहते। दर्शक दीर्घा में देखती आंखें तब नम हो गईं जब चौधरी ने बापू की चम्पारण यात्रा का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि बापू ने कई बार कहा है- मैंने तो पहली बार ईश्वर के दर्शन किए। जानते हैं कहाँ..? निलहे किसानों की आंखों में..! 

लगभग तीन घण्टे चले इस कार्यक्रम में सबने बापू को ख़ूब जिया। मनोज कुमार, निदेशक, शिक्षा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। मंच संचालन डॉ सोनी सिंह ने ख़ूब किया। अभी अतिथितियों और वक्ताओं ने जन शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। कार्यक्रम में क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक,पटना, प्रेमचंद, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना अमित कुमार, संयुक्त निदेशक, जन शिक्षा, सत्यनारायण, उप निदेशक-ध्रुव प्रसाद, सहायक निदेशक दिनेश्वर मिश्र, योगेश कुमार,  और परामर्शी प्रीति परिहार उपस्थित थे। कार्यक्रम का आरेखन व निर्देशन रमेश चन्द्र, सहायक निदेशक ने किया।


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