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गंदा है पर धंधा है! किराए पर दे रहे हैं अपना प्राइवेट पार्ट, एक बार में 45 सौ लोगों के लिए कर रहे ड्रग्स की तस्करी

गंदा है पर धंधा है! किराए पर दे रहे हैं अपना प्राइवेट पार्ट, एक बार में 45 सौ लोगों के लिए कर रहे ड्रग्स की तस्करी

DESK : अंडर गार्मेंट्स में ड्रग्स, सोना या दूसरे तस्करी के सामान छिपाकर लेकर जाना अब पुराने जमाने की बात हो गई है। अब तस्कर ऐसे तरीके आजमा रहे हैं, जिन्हें पकड़ पाना लगभग असंभव सा हो गया है। अब इंटरनेशनल ड्रग माफिया ने ह्यूमन बॉडी को ही 'ड्रग कैरियर' बना दिया है। जिसमें लोग अपने शरीर के प्राइवेट पार्ट को किराए पर दे रहे हैं। 

जिसमें पुरुष और महिलाएं अपने प्राइवेट पार्ट के अंदर ड्रग्स या सोने की कैप्सूल छिपाकर तस्करी कर रहे हैं। माना जा रहा है प्राइवेट पार्ट में ऐसे कैप्सूल को तभी पकड़ा जा सकता है, जब वह पुरुष या महिला खुद किसी शारीरिक परेशानी   का सामना करने लगे। इस काम के लिए ड्रग्स की स्मगलिंग महज फ्री फ्लाइट टिकट और 20 हजार रुपए से 1 लाख तक मिल जाता है। हैरानी का बात है कि इसमें जान का खतरा होने के बाद भी थोड़े से पैसे के लिए लोग इसे धंधे में लिप्त होते जा रहे हैं। 

भारत में फैल रहा है धंधा 

अब तक विदेशों में इस तरह के धंधे हो रहे थे, लेकिन अब भारत में भी इंटरनेशनल ड्रग माफिया इस तरह का धंधा शुरू हो गया है। पिछले कुछ दिनों में भारत में लगभग ऐसे कई मामले सामने आए हैं. जिनमें प्राइवेट पार्ट में ड्रग्स छिपाकर ले जाते हुए पकड़ा गया। 

प्राइवेट पार्ट के जरिए स्मगलिंग का ट्रेंड इस कदर बढ़ा है कि जयपुर एयरपोर्ट पर ही 1 महीने में DRI व कस्टम ने 5 लोगों को पकड़ा है। ये प्राइवेट पार्ट में गोल्ड और ड्रग्स छिपाकर लाए थे। प्राइवेट पार्ट में छिपाए ड्रग्स को ढूंढ पाना कितना मुश्किल है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक केस में मेडिकल टीम को युगांडा की महिला के प्राइवेट पार्ट में छिपाई करीब 16 करोड़ की ड्रग्स को निकालने में 11 दिन लग गए।

जयपुर में बीते दिनों एक युवक के प्राइवेट पार्ट से 38 लाख की फॉरेन करेंसी को पकड़ा गया था। बाद में अस्पताल में ऑपरेशन के जरिए इन पैसों को निकाला गया। इसी तरह जयपुर में एक महिला ने 18 ड्रग्स कैप्सूल निगल लिए। लेकिन उसकी तबीयत खराब हो गई, जिसके कारण वह पकड़ में आ गई। कस्टम ने महिला के पास से 46 लाख ड्रग्स कैप्सूल जब्त किए। वहीं 19 फरवरी को युगांडा के एक युवक के पास से 16 करोड़ के ड्रग्स कैप्सूल जब्त किए गए थे। तीन मार्च को सूडान के एक युवक के पास छह करोड़ के कैप्सूल मिले थे।

खुद डालते हैं प्राइवेट पार्ट में कैप्सूल

सीधे प्राइवेट पार्ट में गोल्ड या ड्रग्स से भरे कैप्सूल डाले जाते हैं। इसे स्टफिंग कहते हैं। यह प्रोसेस दर्दनाक और जोखिम भरा होता है। बॉडी एडवांटेज के कारण स्मगलिंग के लिए ड्रग माफिया की पहली पसंद महिलाएं होती हैं। ड्रग्स कैरियर खुद अपने हाथों से कैप्सूल प्राइवेट पार्ट में डालते हैं।

ऐसे तैयार किया जाते हैं कैप्सूल

ऐसे कैप्सूल को तैयार करने के लिए तस्कर सर्जरी में इस्तेमाल किए जाने वाले ग्लव्स और कंडोम का प्रयोग करते है। बताया गया कि सामान्य कैप्सूल की तुलना में यह शरीर में लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। एक कैप्सूल को तैयार करने के लिए कंडोम के रबर के कई लेयर चढ़ाए जाते हैं। 

दिल्ली, जयपुर, मुंबई अहमदाबाद में अधिक सक्रिय

बताया गया कि शरीर के प्राइवेट पार्ट में ड्रग्स या सोने की तस्करी का धंधा जयपुर, अहमदाबाद, मुंबई और दिल्ली में ज्यादा सक्रिय हैं। ड्रग माफिया पहले ऐसे महिला या पुरुष को जयपुर पहुंचा रहे हैं और उसके बाद फ्लाइट से दिल्ली आते हैं, जहां से वह मुंबई या अहमदाबाद पहुंचते हैं। 

इस तरह होता है धंधा

  • 50 लोगों के डोज जितना ड्रग्स होता है एक कैप्सूल में
  • एक व्यक्ति 90 से ज्यादा कैप्सूल तक निगल सकता है 
  • महिला-पुरुष को ड्रग्स गोल्ड से भरे कैप्सूल निगलने के लिए दिए जाते हैं
  • कैप्सूल निगलने के बाद ड्रग्स कैरियर को एंटीमॉटिलिटी दवा दी जाती है
  • इस दवा से फ्लाइट के दौरान बॉडी मूवमेंट कम हो जाता है और टॉयलेट का 8-9 घंटे बढ़ जाता है
  • निगलने के छह घंटे के बाद कैप्सूल को निकालना होता है। फ्लाइट लेट हो जाए तो जान को खतरा होता है।
  • अगर कैप्सूल शरीर के अंदर फट जाए तो हार्ट अटैक से मौत हो सकती है।
  • कैप्सूल शरीर में लीक भी हो सकता है। ऐसी हालत में सर्जरी कर कैप्सूल निकालना पड़ता है।

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