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डरना नहीं है, रिसर्च की माने तो भारतीयों में कोरोना से लड़ने की ताकत ज्यादा, शरीर में मिला यूनीक माइक्रो RNA

डरना नहीं है, रिसर्च की माने तो भारतीयों में कोरोना से लड़ने की ताकत ज्यादा, शरीर में मिला यूनीक माइक्रो RNA

Desk: देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़कर 900 के पार चली गई है. जबकि अब तक इस वायरस से 21 लोगों की जान गई है. लेकिन इन सबके के बीच अच्छी खबर आ रही है.

शोधकर्ताओं का दावा है कि भारतीयों में एक विशिष्ट और विरला माइक्रो आरएनए मौजूद है. यह वंशानुगत आरएनए अन्य देशों के लोगों में नहीं पाया जाता है. इसमें कोरोना वायरस की तीव्रता को मंद करने की ताकत है. दिलचस्प बात यह कि मौजूदा कोरोना वायरस भी आरएनए वायरस है. इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियिरंग एंड बायो टेक्नोलॉजी दिल्ली की टीम की ओर से कोरोना सार्स-टू पर यह शोध किया गया. इसमें डॉ. दिनेश गुप्ता के नेतृत्व में चार एक्सपर्ट ने पांच देशों के कोरोना मरीजों पर स्टडी की. 21 मार्च को ऑनलाइन जनरल में प्रकाशित रिसर्च पेपर संकट की इस घड़ी में भारतीयों के लिए उम्मीद जगा रहा है.

केजीएमयू लखनऊ की माइक्रोबायोलॉजिस्ट के मुताबिक, टीम ने भारत, इटली, यूएसए, नेपाल व चीन के वुहान शहर के मरीजों पर केस स्टडी की. इसमें वुहान के दो मरीज की हिस्ट्री ली गई. सबकी जीन सीक्वेंसिंग की गई. इंटीग्रेटेड सीक्वेंसिंग बेस्ड जीनोम की पड़ताल में भारतीयों में एक माइक्रो आरएनएए (एचएसए-एमआइआर-27-बी) मिला. यह माइक्रो आरएनए अन्य देशों के मरीजों में नहीं मिला. भारतीयों में कोरोना के सार्स-टू में एक म्यूटेशन भी देखा गया. इसमें वायरस की सतह पर एक विशेष प्रोटीन मिला. शोध में अनुमान लगाया गया कि भारतीयों में मौजूद विशेष माइक्रो आरएन सार्स-टू को म्यूटेट कर देता है. इससे वायरस की क्षमता अन्य देशों की अपेक्षा यहां कम हो रही है.

केजीएमयू की डॉ. ने बताया कि एचएसए-एमआइआर-27-बी नामक यह माइक्रो आरएनए अन्य देशों के मरीजों में नहीं मिला. इस शोध ने एक उम्मीद जगाई है. शोध को विस्तार दिया गया है. अब ऑनलाइन सभी देशों के मरीजों का डाटा जुटाया जा रहा है. डब्लूएचओ भी डाटा शेयर कर रहा है. लिहाजा, जल्द कुछ बड़ी उपलब्धि सामने होगी. 

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