NALANDA : जिले में निजी पैथोलोजी सेंटरों को किसी की जान की कोई परवाह ही नहीं है. किसी भी इंसान के लिए रक्त ही जीने का माध्यम होता है. लेकिन वही जब किसी की जान पर बन आए तो इसमें किसकी गलती है. बिहारशरीफ के खंदकपर स्थित निजी जांच घर में उपेंद्र कुमार ने ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनाने के लिए 23 अगस्त 2018 को ब्लड ग्रुप की जांच करायी थी. उसमें रिपोर्ट ए पॉजिटिव आयी थी. किसी कारण से वे तब डीएल नहीं बनवा सके.
9 जून 2020 को उन्होंने डीएल बनवाने के लिए पुन: उसी जांच घर में सैंपल दिया. इस बार उनकी ब्लड ग्रुप रिपोर्ट एबी पॉजिटिव आयी है. दो वर्ष में उनके शरीर का ब्लड ग्रुप ही बदल गया. यह तो सरासर लापरवाही व रोगियों की जान से खेलने की बात हुई. क्योंकि कई बार इमरजेंसी में यह रक्त किसी दूसरे से लिया दिया जा सकता है. ऐसे में रक्त लेने देने वालों की मौत तक हो सकती है. इस संबंध में संचालक ने बताया कि दो वर्ष पहले की जांच रिपोर्ट है. दोनों अलग-अलग व्यक्ति हो सकते हैं. एक ही व्यक्ति की दो रिपोर्ट असंभव है.
क्या बोले अधिकारी
सीएस डॉ. राम सिंह ने बताया कि इस तरह की लापरवाही से रोगी मर सकता है. संबंधित पैथो सेंटर की जांच की जाएगी. दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. ऐसे लोगों को सेंटर चलाने का लाइसेंस ही नहीं मिलनी चाहिए.
नालंदा से राज की रिपोर्ट