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भारत के 33वें विदेश सचिव के रुप में पदभार ग्रहण किए डॉक्टर हर्षवर्धन श्रृंगला, जानिए कौन है ये....

भारत के 33वें विदेश सचिव के रुप में पदभार ग्रहण किए डॉक्टर हर्षवर्धन श्रृंगला, जानिए कौन है ये....

NEWS4NATION DESK : भारत के 33वें विदेश सचिव की ज़िम्मेदारी आज डॉक्टर हर्षवर्धन श्रृंगला ने संभाल ली है. उन्होंने विदेश सचिव विजय गोखले की जगह ली है. पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने कहा कि मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं. मैं ये आश्वासन देता हूं कि इस काम को पूरी कर्तव्यनिष्ठा के साथ करूंगा. मेरे वरिष्ठ साथियों ने जो स्टैंडर्ड सैट किए हैं उन पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा.

कौन हैं डॉक्टर हर्षवर्धन श्रृंगला

डॉक्टर हर्षवर्धन श्रृंगला भारतीय विदेश सेवा के 1984 बैच अधिकारी हैं. राजधानी दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से स्नातक करने और भारतीय विदेश सेवा में शामिल होने से पहले डॉ श्रृंगला कॉर्पोरेट और सार्वजनिक क्षेत्रों में भी काम कर चुके हैं. उन्हें आर्थिक कूटनीति का अच्छा जानकर माना जाता है. डॉ श्रृंगला अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं के अलावा फ्रेंच, वियतनामी और नेपाली भाषा भी बखूबी बोलते हैं.

डॉक्टर श्रृंगला का शुमार एक कुशल राजनयिक के तौर पर होता है. बीते 35 सालों के करियर में वे अनेक ज़िम्मेदारियां संभाल चुके हैं. वो अमेरिका में भारत के राजदूत भी रह चुके हैं. हर्षवर्धन श्रृंगला ने नई दिल्ली और विदेशों में विभिन्न पदों पर काम किया है. अमेरिका से पहले वे बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त और थाईलैंड में भारत के राजदूत के रूप में काम कर चुके हैं. साथ ही फ्रांस (यूनेस्को), यूएसए (यूएन, न्यूयॉर्क); वियतनाम (हनोई और हो ची मिन्ह सिटी); इज़राइल और दक्षिण अफ्रीका (डरबन) में भी विभिन्न राजनयिक ज़िम्मेदारियां निभा चुके हैं.

डॉ श्रृंगला बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार और मालदीव जैसे पड़ोसी मुल्कों के बारे में काफी अच्छी समझ रखते हैं. नई दिल्ली में बतौर संयुक्त सचिव वो इन मुल्कों से सम्बंधित डिवीजन के प्रभारी भी रह चुके हैं. इतना नहीं उन्होंने सार्क मामलों और नेपाल व भूटान के साथ काम करने वाले उत्तरी डिवीजन के निदेशक के रूप में भी ज़िम्मेदारी संभाली है. बंगलादेश में भारत के उच्चायुक्त के तौर पर उनके कार्यकाल को दोनों देशों के सम्बन्धों में तालमेल बढ़ाने के लिहाज से अहम माना जाता है.

बता दें नए विदेश सचिव नामित होने के बाद गत 15 जनवरी से वे विदेश मंत्रालय में ही तैनात होकर मुख्यालय में कामकाज की जानकारी ले रहे थे.

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