RAMGARH: झारखंड के रामगढ़ जिले के लोग इन दिनों पानी की घोर किल्लत से जूझ रहे हैं. रामगढ़ जिला मुख्यालय से महज बारह किलोमीटर की दूरी पर बसा गाँव है कौवा बेड़ा. यह गाँव दामोदर नदी की तलहटी में बसा है, जहाँ की आबादी तक़रीबन पंद्रह सौ है.
यहाँ पीने के पानी की समस्या पिछले कई सालों से चली आ रही है. लेकिन आज तक इस समस्या को दूर करने का कोई प्रयास न ही सरकार ने किया है और न ही प्रशासन ने. पीने के पानी की समस्या आज भी यहाँ ज्यों की त्यों बरक़रार है. पीने के पानी के लिए लोगों को आज भी दामोदर नदी का ही सहारा है. अपनी हलक की प्यास बुझाने के लिए लोगों को घंटों मशक्कत करना पड़ता है. सुबह होते ही लोग सिर पर बर्तन लेकर नदी की ओर निकल जाते हैं. फिर दामोदर नदी के तट पर घंटों मशक्कत कर चुवा बनाते हैं और चुवा का निकला पानी छानकर लोग घर लाते हैं.
पीने के पानी की यह समस्या दिन पर दिन विकराल रूप धारण कर रही है. ग्रामीण और गाँव के बच्चे सारा काम छोड़कर पहले गले की आग बुझाने के लिए लग जाते हैं. लोगों का कहना है जब चुनाव आता है तो सरकार के द्वारा कई वादे किए जाते हैं. लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि या सरकार के लोग झाँकने तक नही आते है.अगर दामोदर नदी नही होता तो ग्रामीणों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता. हालाँकि सरकार के द्वारा पानी के लिए कई तरह की व्यवस्था की गई है जो धरातल पर नजर नहीं आते हैं.
इस इलाके की ऐसी स्थिति तब है जब झारखंड सरकार के मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी का यह गृह जिला है. वे झारखंड के पेयजल मंत्री हैं और विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं. पानी लेने आई अमृता कुमारी ने बताया स्कूल छोड़ कर हम लोग पानी के लिए अपने मम्मी-पापा के साथ दामोदर नदी आते हैं और चूवा खोदकर पानी ले जाते हैं. इससे जिससे पढ़ाई भी बाधित होती है.
रामगढ़ से अनुज कुमार की रिपोर्ट