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जलवायु संकट की वजह से बढ़ गया बिहार में लू और वज्रपात का खतरा, मीडिया क्लेक्टीव ने जारी की रिपोर्ट

जलवायु संकट की वजह से बढ़ गया बिहार में लू और वज्रपात का खतरा, मीडिया क्लेक्टीव ने जारी की रिपोर्ट

PATNA : जलवायु संकट का मुकाबला करना इस वक़्त की सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिये मीडिया क्लेक्टीव द्वारा हीट वेब और वज्रपात को लेकर किया गया अध्ययन एक महत्वपूर्ण काम हुआ है। पहले भी लू और वज्रपात का संकट हमारे सामने था, लेकिन अब जलवायु संकट की वजह से यह और खतरनाक हो गया है। मुझे खुशी है कि बिहार सरकार इस संकट को लेकर पहले से सजग है। अगर सिविल सोसाइटी के लोग इसी तरह साथ आ जायें तो इसका मुकाबला बहुत आसान हो जायेगा। ये बात मीडिया कलेक्टिव फ़ॉर क्लाइमेट इन बिहार द्वारा "हीट वेव और वज्रपात के संकट से जूझता बिहार - एक मीडिया अध्ययन" के रिपोर्ट का विमोचन बिहार सरकार के मंत्री आलोक रंजन ने कही। इस रिपोर्ट के उद्घाटन पर मंत्री आलोक रंजन ने कहा कि मैं जिस क्षेत्र से आता हूँ वह इलाका कोसी नदी से घिरा है। जहां क्लाइमेट चेंज का सबसे ज्यादा असर हमने झेला है। उन्होंने कहा की बिहार सरकार अभी इससे मजबूती से लड़ रही है और अगर कोई कमी है तो बिहार सरकार सिविल सोसाइटी के साथ मिलकर उसे दुरुस्त करेगी। 

वहीं पत्रकार पुष्यमित्र ने इस रिपोर्ट के सार को लोगों को बताते हुए कहा कि बिहार में अभी भी जलवायु संकट को लेकर बढ़े हीट वेव और वज्रपात के खतरे को लेकर बहुत सजगता नहीं है। सरकार ने हीट वेव एक्शन प्लान तो बना लिया है, लेकिन जमीन पर उसका अनुपालन ठीक से नहीं हो पाता। वज्रपात को लेकर भी ऐसे ही एक्शन प्लान की जरूरत है। रिपोर्ट को मीडिया क्लेक्टीव बिहार ने असर और सेन्टर फोर रिसर्च ऐण्ड डायलॉग के सहयोग से तैयार किया। असर संस्था के मुन्ना कुमार झा ने कहा कि बिहार जलवायु संकट का जन्मदाता नहीं है। मगर उसे जलवायु संकट के खतरे का सामना करना पड़ता है। इसलिये यहां हीट वेव और वज्रपात को लेकर अधिक सजगता और तैयारी की जरूरत है।

सीटू तिवारी ने इस रिपोर्ट पर बात रखते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ रहा है। बिहार सरकार जो एक्शन प्लान बना रही है उसका विकेंद्रीकरण सबसे ज्यादा जरूरी है। मसलन गया का एक्शन प्लान और सहरसा का एक्शन प्लान दोनों अलग अलग होनी चाहिए। साथ ही इसके शिकार जो सामाजिक और आर्थिक तौर पर जो पिछड़े है वो सबसे ज्यादा होते है। इसीलिए सूचना के प्रसारण का तरीका एप्प के साथ साथ मुनादी और डुगडुगी अपनाना चाहिए। 

वहीं बिहार प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन अशोक घोष ने कहा कि बिहार में जो प्रदूषण है उसमें सबसे ज्यादा पड़ोसी राज्य से आता है। बिहार में 22% प्रदूषण में बंगाल और यूपी का योगदान है। वहीं जलावन के प्रदूषण का 28% योगदान है। उन्होंने कहा पृथ्वी पर 7 अरब से ज्यादा जनसंख्या है लेकिन ये सिर्फ 3 अरब जनसंख्या का भार ढो सकती है। अब जमीन कोई सायंटिस्ट बना नहीं सकता है, इसके लिए हमारे जीवनशैली को बदलना होगा। उन्होने कहा कि इस संकट के समाधान के लिये सरकार और जनता दोनों को साथ आना होगा। इस अवसर पर महेंद्र सुमन, अखिलेश, गगन, दिव्या गौतम, मनीष शांडिल्य, सत्यम, उमेश आदि उपस्थित थे।

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