N4N Desk: दुती चंद ने रविवार को 18वें एशियाई खेलों में महिला 100 मीटर दौड़ का रजत पदक जीतने के बाद कहा कि वो आंखे बंद करके दौड़ रही थीं. आईएएएफ ने 2014 में अपनी हाइपरएंड्रोगेनिजम नीति के तहत दुती को निलंबित कर दिया था जिस वजह से उन्हें उस साल के राष्ट्रमंडल खेलों के भारतीय दल से बाहर कर दिया गया था.
महिला ऐथलीटों में पुरुष हारमोन्स के उच्च स्तर के कारण उन्हें प्रतियोगिताओं में भाग लेने से आईएएएफ ने रोक दिया था. जिसके बाद एथिलीट ने ने हार नहीं मानी. वो इसके खिलाफ पहुंच गई खेल पंचाट (स्पोर्ट्स के मामलों की सुनवाई करने वाली अंतरराष्ट्रीय अदालत). यहां उसके पक्ष में फैसला आया. और फिर वो दौड़ी. ऐसा दौड़ी कि जिस एशियन गेम्स में उसे जाने को नहीं मिला था, उसी में सिल्वर मेडल ले आई. हम बात कर रहे हैं दुती चंद की. 100 मीटर स्प्रिंट में भारत को 32 साल बाद मेडल दिलाने वाली दुती चंद की.
दुती ने कहा, '2014 मेरे लिए बहुत बुरा साल था. लोग मेरे बारे में कई तरह की बात कर रहे थे. उसी लड़की ने आज वापसी की और देश के लिए पदक जीतने में सफल रही. ये मेरे लिए बड़ी सफलता है.'
उन्होंने कहा, 'सेमीफाइनल के शुरुआती 20 मीटर में मैं तेज़ नहीं दौड़ी थी. मेरे कोच ने मुझे इस बारे में बताया और कहा कि मुझे तेज़ शुरुआत करनी होगी. फाइनल में शुरुआती 40 मीटर में मैं काफी तेज़ दौड़ी. मैं आंखे बंद कर के दौड़ रही थी. पदक के बारे में सोचे बिना मैं अपने समय को बेहतर करना चाह रही थी.'