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एक क्लिक में जानें नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर

एक क्लिक में जानें नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर

PATNA:पटना जिले के बख्तियारपुर में एक मार्च 1951 को नीतीश कुमार का जन्म हुआ। मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे नीतीश कुमार के पिता स्वतंत्रता सेनानी कविराज रामलखन सिंह वैद्य थे। बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज (अब एनआईटी) से इंजीनियरिंग में स्नातक करने वाले नीतीश कुमार का शैक्षणिक करियर शानदार रहा है। 1974 में वे जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में शामिल हुए। 1974-75 में मीसा के तहत जेल में भी रहे। वे 1980 में पहली बार बिहार विधानसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 1985 में नीतीश पहली बार बिहार विधानसभा के लिए चुने गए।जन्म लेने के बाद वहां कि लोग उन्हें मुन्ना के नाम से बुलाया करते थे। आज भी बख्तियारपुर के कई बुजुर्ग उन्हें मुन्ना के नाम से पुकारते हैं। पढ़ाई लिखाई पूरा करने के बाद वह राजनीति में सक्रिय हुए और हरनौत से चलकर दिल्ली तक का सफर तय किया। राजनीति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी एक ऐसी पहचान बनाई है जिसे आज भी बिहार का बच्चा-बच्चा उनका दीवाना है। क्योंकि बिहार जैसे पिछले प्रदेश को पटरी पर लाने वाले नेताओं में से सबसे अहम भूमिका नितीश कुमार ने निभाई है। आइए जानते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जीवन के बारे में कुछ खास बाते।....

पढ़ाई करने के बाद कुछ ऐसे शुरुआत हुई राजनीतिक सफर.....
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से अपनी पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई करने के दौरान की जीवन में राजनीतिक झुकाव आने लगा। और राजनीति के बारे में बचपन से ही अपने पिता से शिक्षा लिया करते थे। क्योंकि उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। राजनीति में सक्रिय होने के लिए नीतीश कुमार को जेपी आंदोलन का सहारा मिला और जेपी आंदोलन से राजनीति का सफर की शुरुआत की। जे पी  आंदोलन में वह जेल भी गए थे। जेल से आने के बाद राजनीति में पूर्ण रुपेन सक्रिय हो गए जिसके  बाद आज तक कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसी का नमूना है कि वह बिहार के हारनौत से विधायक बनने के बाद दिल्ली तक का सफर तय किये और आज बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में लोगों के दिलों में अपना राज करते आ रहे हैं।

चुनाव में पहली बार हार गए थे नितीश कुमार फिर....
आपको बताते चलें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 1977 और 1980 मे  हरनौत विधानसभा से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें वहां की जनता ने नहीं सराहा जिसके वजह से वह चुनाव हार गए थे। पर चुनाव हारने के बाद भी उनके हौसले कमजोर नहीं हुए वह दिन पर दिन आगे बढ़ते गय और अपनी मुकाम तक पहुंचने के लिए वह युवा लोकदल के अध्यक्ष बने फिर जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव।
 
दूसरी बार राजनीती धुरंधर को मात देते हुए बने थे विधायक ....
राजनीति मे पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 1985 में सफलता मिली और वह चुनाव में धुरंधर को हराते हुए हरनौत से विधायक बने। जिसके बाद संसदीय लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाते हुए दिल्ली तक का सफर तय किया। वर्ष 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में वार्ड संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े तथा बिहार के दिगज महारथी कहे जाने वाले कांग्रेस के राम लखन सिंह यादव को पराजित करते हुए बिहार के नेताओं को चौंका दिया था। फिर बीपी सिंह की सरकार में कृर्षी राज्यमंत्री बनें। जब वह कृर्षी राज्य मंत्री बने तब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सांसद थे। लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री बनाने में नीतीश कुमार ने अपनी अहम भूमिका निभाई। और रामसुंदर दास के खिलाफ विधायक दल के चुनाव में लालू यादव का साथ दिया पर इन दोनों की दोस्ती कुछ ज्यादा दिन नहीं चली वर्ष 1994 में यह दोनों अलग हो गए। लालू नीतीश की दोस्ती खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने  जार्ज फर्नांडीस  साथ मिलते हुए समता पार्टी का निर्माण किया। पार्टी बनाने के बाद पहली बार वर्ष 1995 मे  चुनावी मैदान में उतरे पर कुछ खास सफलता नहीं मिली। समता पार्टी को  मात्र 7 सीट मिले। कुछ दिन  चलने की बात समता पार्टी और बीजेपी के बीच गठबंधन हुआ और यह गठबंधन काफी दिनों तक चला। जिसकी वजह से 1998-2004 तक नीतीश कुमार अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में कई विभागों के मंत्री रहे। तो वर्ष 2000 में वह 7 दिनों के लिए बिहार के मुख्यमंत्री भी बने पर 2005 में राजद की  सरकार को हराते हुए पूर्णरूपेण मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठ गए ।जिसके बाद आज तक कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

1987 : केन्द्रीय राजनीति...नीतीश कुमार बिहार में युवा लोकदल के अध्यक्ष बनने के बाद विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुवाई में केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन में शामिल हो गए। 1989 में नौवीं लोकसभा के लिए चुने गए। इसी साल वे बिहार जनता दल के सचिव भी बने। अप्रैल 1990 में वे वीपी सिंह की सरकार में केंद्र में कृषि राज्य मंत्री बने। 1991 में दसवीं लोकसभा के लिए दोबारा चुने गए। 1996 में तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए। 1998 में नीतीश 12वीं लोकसभा के लिए चौथी बार चुने गए।

1998 : रेलमंत्री बने....19 मार्च को नीतीश कुमार अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में रेलमंत्री बनाए गए। बाद में वे 14 अप्रैल 1998 को भूतल परिवहन मंत्री बनाए गए। वे 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में पांचवीं बार जीतकर संसद में पहुंचे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 13 अक्टूबर 1999 को भूतल परिवहन मंत्री बनाए गए। नीतीश 22 नवंबर 1999 को केंद्रीय कृषि मंत्री बने। 27 मई 2000 को दोबारा केंद्र में कृषि मंत्री बने। 22 जुलाई 2001 से 21 मई 2004 तक रेलमंत्री रहे।

2000-2010 : मुख्यमंत्री पद संभाला...इस साल नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री की कमान संभाली। हालांकि इस दौर में ज्यादा दिनों तक सरकार नहीं चला सके। पर्याप्त समर्थन के अभाव में उन्हें सात दिन में ही अपने पद से इस्तीफा दे देना पड़ा। 24 नवंबर 2005 को जनता दल यूनाइटेड और भाजपा गठबंधन की सरकार में बिहार के मुख्यमंत्री बने। 

2010 में फिर एक बार मुख्यमंत्री बने...2010 के चुनाव में जदयू-भाजपा गठबंधन को तीन चौथाई बहुमत मिला। 26 नवंबर 2010 को नीतीश कुमार ने तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।

2013 : भाजपा गठबंधन टूटा...नीतीश कुमार भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं करते थे। कई बार वे इस मुद्दे पर अपना विचार जाहिर कर चुके थे। इन्हीं कारणों से 16 जून 2013 को बिहार में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड का 17 साल पुराना गठबंधन खत्म हो गया। 16वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी को मिली शानदार जीत के बाद 17 मई 2014 को नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया।

2015 : बिहार के मुख्यमंत्री बने...जीतनराम मांझी के इस्तीफा देने के बाद 22 फरवरी, 2015 को पुन: बिहार के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद बिहार विधानसभा के लिए इसी वर्ष हुए चुनाव में महागठबंधन की भारी जीत के बाद पांचवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। भाजपा से अलग होने के बाद से नीतीश कुमार समाजवादी विचारधारा के दलों को एकजुट कर देश में तीसरा विकल्प खड़ा करने की कोशिशों में लगे रहे हैं। अभी जदयू, रालोद, झाविमो समेत कई छोटे दलों के विलय की उनकी कवायद सिरे चढ़ने वाली है।

2016 : जदयू के नए अध्यक्ष...नीतीश कुमार जनता दल (यू) के नए अध्यक्ष चुने गए हैं। वह शरद यादव का स्थान लेंगे, जो लगातार तीन बार अध्यक्ष रहे।

बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य की जनता के दिलों में अपनी अलग पहचान बनाई...
आपको बताते चलें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य की जनता एक अलग नजरिए से देखती है। इन्हे विकास पुरुष के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि जबसे इन्होंने बिहार की बागडोर अपने हाथ से मिली है तब से बिहार प्रगति की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है। इसी का नतीजा है कि आज बिहार की महिलाएं इन्हें सबसे ज्यादा पसंद करती हैं क्योंकि उन्होंने महिलाओं के मांग पर शराबबंदी जैसे फैसले को लागू किया तथा राज्य में परिवर्तन की नई  बुनियाद बनाई। तो अपने सात निश्चय के जरिए राज्य   के युवाओं को रोजगार तथा बिहार की छवि सुधारने की पहल आज भी कि जा रही है।






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