PATNA : देश में चार लोकसभा सीटों और 10 राज्यों की 11 विधानसभा सीटों के अंतिम रुझान दिखाते हैं कि अगर उत्तर प्रदेश और बिहार को छोड़ दें तो बाकी राज्यों में उपचुनाव राज्य में सत्ताधारी पार्टी के हक में ही गए हैं। उत्तर प्रदेश में कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में नतीजे सत्ताधारी बीजेपी के खिलाफ गए हैं। कैराना में राष्ट्रीय लोक दल प्रत्याशी तबस्सुम हसन ने बीजेपी प्रत्याशी मृगांका सिंह को बड़े अंतर से हराते दिख रही हैं। इसी तरह नूरपुर में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने बीजेपी प्रत्याशी को बड़े अंतर से पीछे कर दिया। विपक्ष ने ये दोनों सीटें बीजेपी से छीनता दिख रहा है। यूपी में सारे विपक्ष के एक साथ आने के बाद बीजेपी के लिए यह दूसरा बड़ा झटका होगा।
महाराष्ट्र में दो लोकसभा सीटों भंडारा-गोंदिया और पालघर के लिए उपचुनाव हुआ। ये दोनों सीटें पहले बीजेपी की पास थीं। भंडारा-गोंदिया सीट बीजेपी सांसद के इस्तीफे तो पालघर सीट बीजेपी सांसद की मृत्यु के कारण खाली हुई थी। अंतिम रुझान मिलने तक दोनों सीटों पर सत्ताधारी बीजेपी आगे थी. हालांकि भंडारा-गोंदिया में कांटे की टक्कर है। बिहार की जोकीहाट विधानसभा सीट पिछले विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी जेडीयू के पास थी। लेकिन नीतीश कुमार के बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद यहां के विधायक सरफराज आलम ने जेडीयू छोड़ दी। बिहार की अररिया लोकसभा सीट से आरजेडी सांसद पिता मुहम्मद तस्लीमुद्दीन की मौत के बाद सरफराज अररिया से सांसद बन गए। उनकी खाली हुई विधानसभा सीट जोकीहाट से उनके छोटे भाई शाहनवाज आलम आरएलडी प्रत्याशी हैं। यह सीट आरजेडी सत्ताधारी जेडीयू से छीनती दिख रही है।
उत्तराखंड के चमोली जिले की थराली सीट
बीजेपी विधायक के निधन के बाद खाली हो गई थी। उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी अपनी
सीट बचाती दिख रही है। झारखंड में दो विधानसभा सीटों गोमिया और सिल्ली के
लिए उपचुनाव हो रहा है। यह दोनों सीटें झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास थीं। कानूनी
मामलों में फंसने के कारण इन दोनों सीटों के विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया
था। उपचुनाव में सत्ताधारी बीजेपी गोमिया सीट जेएमएम से छीनती दिख रही है, जबकि सिल्ली पर जेएमएम का कब्जा बरकरार रह सकता है। पंजाब की शाहकोट विधानसभा सीट अकाली दल
के विधायक के निधन के बाद खाली हो गई थी। उपचुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस यह सीट
अकाली दल से छीनती नजर आ रही है। केरल की चेनग्नूर विधानसभा सीट
सत्ताधारी लेफ्टफ्रंट की प्रमुख पार्टी सीपीएम के पास थी। विधायक के निधन के कारण
खाली हुई इस सीट पर सत्ताधारी पार्टी कब्जा बरकरार रखने की ओर है।