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शर्मनाक ! नीतीश राज के मेडिकल कॉलेजों में न डॉक्टर और न इलाज, फिर भी JDU का दावा- 'स्वास्थ्य' सेक्टर में बिहार ने गुजरात को पीछे छोड़ा

शर्मनाक ! नीतीश राज के मेडिकल कॉलेजों में न डॉक्टर और न इलाज, फिर भी JDU का दावा- 'स्वास्थ्य' सेक्टर में बिहार ने गुजरात को पीछे छोड़ा

PATNA: बिहार के मेडिकल कॉलेजों में न डॉक्टर आते हैं और न किसी प्रकार की जांच होती है। नीतीश सरकार मेडिकल कॉलेजों का भवन ,संसाधन की उपलब्धता और मशीनों को लगा चुकी है, लेकिन मरीजों को इलाज की कोई सुविधा नहीं मिल रही. बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज भी सिर्फ रेफऱ सेंटर बन कर रह गये हैं। सुशासन राज के मुखिया के सामने भी मेडिकल कॉलेज की हकीकत की पोल खुल चुकी है। इसके बाद भी बिहार की सत्ताधारी जेडीयू का दावा है कि स्वास्थ्य मानकों में बिहार की स्थिति विकसित राज्यों से बेहतर है. नीतीश कुमार की पार्टी यह दावा करते नहीं थक रही कि मुख्यमंत्री की इच्छा शक्ति, ढृढ़ निश्चय और बिहार की जनता के प्रति सेवा भाव का परिणाम है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में हम गुजरात जैसे राज्य से आगे हैं. 

दावा गुजरात से आगे निकलने की 

जदयू के प्रदेश प्रवक्ता डा सुनील कुमार एवं प्रवक्ता अभिषेक झा ने गुजरात मॉडल पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि विकास के जिस मॉडल के सहारे वर्ष 2014 में भाजपा केंद्र की सत्ता में आयी थी, उसका ढोल फूट चुका है और यही कारण है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान इसका नाम तक नहीं लिया। दोनों प्रवक्ताओं ने विभिन्न स्वास्थ्य मानकों की तुलना देश के एक धनी प्रदेश गुजरात के साथ तथाकथित पिछड़े राज्य बिहार से करते हुए कहा कि आँकड़े तो चौकाने वाले हैं। वर्ष 2019-21 के नैशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के अनुसार स्वास्थ्य सम्बन्धी कई आँकड़ों में बिहार ने गुजरात से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है। प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार का यह बेहतर प्रदर्शन नीतीश कुमार की इच्छा शक्ति, ढृढ़ निश्चय और बिहार की जनता के प्रति सेवा भाव का परिणाम है, न कि धन के बदौलत। प्रवक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2004-05 तक बिहार के पास मात्र तीन मेडिकल कॉलेज थे और एक भी नर्सिंग कॉलेज नहीं था। पर आज बिहार में पंद्रह मेडिकल कॉलेज हैं और सभी मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग की भी पढ़ाई होती है। सभी ज़िले में कम से कम एक नर्सिंग कॉलेज चल रहा है। इसके अलावा पाँच स्वतंत्र नर्सिंग कॉलेज भी खोले जा चुके हैं। बिहार जनसंख्या अनुपात की दृष्टि से कुल डॉक्टरों की संख्या में भी झारखंड, राजस्थान, छतीसगढ़, हिमांचल, गुजरात, हरियाणा, पंजाब आदि कई राज्यों से आगे है।

सच्चाई से भाग रही जेडीयू 

बात 12 दिन पुरानी है। तब नीतीश कुमार के सामने ही बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था और मेडिकल कॉलेज-अस्पताल की पूरी पोल खुली थी। नीतीश कुमार 10 अक्टूबर 2022 को जनता दरबार में हाजिर होकर लोगों की शिकायत सुन रहे थे। तभी मधेपुरा से आये एक फऱियादी ने मेडिकल कॉलेजों की सच्चाई से पर्दा हटा दिया। उसने जो कहा वो कापी कड़वा था और सुशासन राज पर करारा तमाचा था। उस फरियादी ने नीतीश राज की वास्तविक सच्चाई को सबके सामने रख दिया। उसने कहा कि आपने मधेपुरा में करोड़ों की लागत से मेडिकल कॉलेज-अस्पताल का भवन बना दिया. उपकरण लगा दिये लेकिन वहां तो कोई विशेषज्ञ डॉक्टर ही नहीं है। सिर्फ 2 विशेषज्ञ डॉक्टर हैं वो भी सप्ताह में एक दिन आते हैं और हाजिरी बनाकर चले जाते हैं. न डॉक्टर हैं न जांच होती है। हम दूसरी दफे मधेपुरा मेडिकल कॉलेज की बदतर हालात को जानकारी देने आपके पास आये हैं. जुलाई में भी हम मधेपुरा मेडिकल कॉलेज को लेकर आपके यहां शिकायत किये थे। शिकायत के बाद आंशिक सुधार हुआ। जब आपके आदेश पर सुधार नहीं हो सकता तो फिर मेडिकल कॉलेज बनाने से क्या फायदा। फरियादी की शिकायत सुन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हतप्रभ रह गये। बेचैन नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत को बुलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कि देखिए क्या हो रहा है। हम बनवाये हैं...जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज. हम यूनिवर्सिटी बना रहे हैं और वहां चिकित्सक रहबे नहीं करेगा तो क्या होगा। फिर मुख्य सचिव की तरफ ध्यान आकृष्ट करते हुए सीएम नीतीश ने कहा कि मधेपुरा मे़डिकल कॉलेज में चिकित्सक सप्ताह में एक दिन आता है और हाजिरी बनाकर चला जाता है। इस पर मुख्य सचिव बोले- यह तो बहुत बुरा है। 

21 अक्टूबर को पटना में स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रम में भी सीएम नीतीश ने मधेपुरा मेडिकल कॉलेज की हकीकत के बारे में जो इनपुट मिला था,उस बात को साझा किया था। सीएम नीतीश ने कहा था कि मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर नहीं जाने की शिकायत मिलती है। जनता दरबार में हमें एक फरियादी ने जानकारी दी थी. 

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