NEW DELHI : भारत में जिस तरह से पिछले कुछ सालों में धार्मिक लड़ाई तेज हुई है। उसको लेकर अब देश के पूर्व नौकरशाहों ने भी चिंता जाहिर की है। खासकर एक खास धर्म को निशाना बनाए जाने पर चिंता जाहिर करते हुए पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा है। लेटर में उम्मीद जताई है कि पीएम मोदी भाजपा के कंट्रोल वाली सरकारों की तरफ से कथित तौर पर पूरी 'लगन' के साथ चलाई जा रही 'हेट पॉलिटिक्स' को खत्म करेंगे।
सौ से ज्यादा लोगों के हस्ताक्षर, चुप्पी पर उठाए सवाल
पीएम मोदी को लिखे गए लेटर में 100 से ज्यादा नौकरशाह ने अपने हस्ताक्षर किए हैं। इस पत्र में समूह ने कहा है कि हम देश में नफरत से भरा विनाश का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि की वेदी पर न केवल मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य हैं, बल्कि स्वयं संविधान भी है। इन सभी ने लेटर में लिखा है कि पूर्व सिविल सर्वेंट होने के नाते यह सामान्य नहीं है कि हमें अपनी भावनाओं को इस तरह पेश करना पड़ रहा है, लेकिन जिस तेज गति से हमारे संस्थापकों की बनाई संवैधानिक संरचना को नष्ट किया जा रहा है, वह हमें बोलने और अपना गुस्सा व पीड़ा जाहिर करने के लिए मजबूर कर रही है।
पीएम को याद दिलाई उनकी बात
समूह ने जहां हेट पॉलिटिक्स पर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया है, वहीं उन्हें उनकी तरफ से दिया गया 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' वाला मंत्र भी याद दिलाया। हमें आशा है कि इस 'आजादी के अमृत महोत्सव' में पक्षपात वाले विचारों से ऊपर उठकर आप उस हेट पॉलिटिक्स के अंत की अपील करेंगे, जिस पर आपकी पार्टी के कंट्रोल वाले राज्यों की सरकारें पूरी लगन से चल रही हैं।
कई नामी हस्ती शामिल
लेटर पर 108 पूर्व नौकरशाहों के हस्ताक्षर हैं, जिसमें कई नामी हस्ती शामिल हैं। इनमें दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, देश के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लै और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टीकेएस नायर जैसे नाम हैं।
भाजपा शासित राज्य में सबसे ज्यादा हिंसा
लेटर में कहा गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय, खासतौर पर मुस्लिमों के खिलाफ पिछले कुछ सालों और महीनों में हिंसा बढ़ी है। यह हिंसा असम, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक और उत्तराखंड समेत उन सभी राज्यों में जहां भाजपा पावर में है। एक नया भयावह रूप ले चुकी है। इनमें दिल्ली ऐसा राज्य है, जहां पुलिस का कंट्रोल केंद्र सरकार के पास है।
संवैधानिक नैतिकता और आचार के लिए खतरा
पूर्व नौकरशाहों ने लिखा है कि हमारा मानना है कि यह खतरा अभूतपूर्व है और न केवल संवैधानिक नैतिकता व आचार खतरे में हैं, बल्कि इससे हमारी सामाजिक ताने-बाने के भी नष्ट होने की संभावना है, जिसे संरक्षित रखने के लिए हमारे संविधान को इतनी सावधानी से तैयार किया गया है।