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एक थप्‍पड़ से हुई क्राइम की दुनिया में एंट्री, 35 केस पर किसी में सजा नहीं, जानिए कैसी थी यूपी पुलिस के एनकाउंटर में ढेर हुए विनोद उपाध्याय की क्राइम कुंडली

 एक थप्‍पड़ से हुई क्राइम की दुनिया में एंट्री, 35 केस पर किसी में सजा नहीं, जानिए कैसी थी यूपी पुलिस के एनकाउंटर में ढेर हुए विनोद उपाध्याय की क्राइम कुंडली

LUCKNOW : योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल के टॉप टेन शूटरों में शुमार विनोद उपाध्याय का द एन्ड कर दिया है। विनोद उपाध्याय पूर्वांचल में दहशत फैलाकर श्रीप्रकाश शुक्ला बनना चाहता था। लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार ने उसका द एन्ड कर दिया...यूपी एसटीएफ की गोलियों का शिकार बना कुख्‍यात शार्प शूटर विनोद उपाध्‍याय को पुलिस करीब सात महीने से ढूंढ रही थी। पहले उत्तर प्रदेश पुलिस ने विनोद उपाध्याय पर 50 हजार का इनाम रखा था लेकिन बाद में इनाम राशि बढ़ाकर 1 लाख कर दिया गया था। विनोद गोरखपुर के टॉप 10 माफिया की लिस्‍ट में शामिल था, इसलिए एसटीएफ के साथ गोरखपुर क्राइम ब्रांच भी उसके पीछे लगी हुई थी।

एक अपराधी को थप्पड़ मारकर ली क्राइम की दुनिया में इंट्री

मूलरूप से अयोध्‍या के रहने वाले इस माफिया पर गोरखपुर पुलिस ने 1 लाख रुपये का इनाम रखा था। विनोद उपाध्‍याय साल 2004 में तब चर्चा में आया था जब उसने गोरखपुर जेल में बंद चल रहे अपराधी जीतनारायण मिश्र को किसी बात पर थप्‍पड़ मार दिया था। अगले साल 2005 में जीतनारायण जब जेल से बाहर आया तो विनोद उपाध्‍याय ने संत कबीरनगर में उसकी हत्‍या कर दीय़ जरायम की दुनिया में विनोद की एंट्री इसी हत्‍याकांड से हुई थी। जिसका अंत उसके एनकाउंटर के साथ हो गया।

छात्र राजनीति से की शुरूआत

विनोद उपाध्‍याय ने अपनी पहचान छात्र राजनीति के जरिये बनाई थी। बात 2002 की है। गोरखपुर यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव हो रहे थे। इसमें विनोद ने अपने समर्थन के साथ छात्रसंघ पदाधिकारी का चुनाव एक शख्‍स को लड़वाया था। चुनाव में वह जीत गया और विनोद उपाध्‍याय का रुतबा बढ़ गया। 2007 में बसपा शासनकाल में विनोद उपाध्‍याय की हनक और बढ़ गई थी। उस समय जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन के पद पर उसने एक पूर्व विधायक पक्ष के प्रत्‍याशी को हरवाकर अपने प्रत्‍याशी को चेयरमैन बनवाया था। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा...गोरखपुर, बस्‍ती और संतकबीरनगर में विनोद उपाध्‍याय के खिलाफ 35 मुकदमे दर्ज हैं। 

किसी मामले में आज तक नहीं हुई सजा

खास बात ये है कि इनमें से आज तक किसी मामले में उसे सजा नहीं मिल पाई। कुछ महीने पहले यूपी सरकार ने गोरखपुर के टॉप 10 अपराधियों की सूची जारी की थी। इसके बाद से ही पुलिस उसके पीछे पड़ गई। लखनऊ समेत यूपी के तमाम जिलों में उसकी तलाश की जाने लगी। जून, 2023 में गोरखपुर पुलिस की एक टीम जब विनोद को ढूंढने उसके लखनऊ स्थित फ्लैट पहुंची तो कई हैरान करने वाली जानकारियां मिलीं। यहां विनोद के पड़ोसी उसे पूर्व मंत्री के रूप में जानते थे। लखनऊ में विनोद उपाध्‍याय के दो फ्लैट हैं। एक में वह अपने साले के साथ रहता था जबकि दूसरे में उसके गैंग के लोग रहते थे। 

सर्विलांस की मदद से गोरखपुर की पुलिस टीम जब तक यहां पहुंचती, तब तक माफिया अपने साथियों के साथ फ्लैट पर ताला माकर फरार हो चुका था...विनोद 2007 पीडब्लूडी कांड के बाद अक्सर चर्चा में रहने उसके गिरोह में शामिल युवा लाइसेंसी असलहों से लैस रहते थे। शादी विवाह हो या अन्य समारोह वह अपनी हनक दिखाता था.इसके गिरोह में शामिल दो अपराधी गंगेज पहाड़ी और दीपक सिंह की हत्या कर दी गई थी. विनोद उपाध्याय ने विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष पर जानलेवा हमला किया था। इस हमले में उसके साथ कुछ अन्य साथी भी थे. इसी हमले के बाद विनोद काफी सुर्खियों में आ गया था।

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