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पीएम मोदी भी नहीं तोड़ पाए ढाई दशक पुराना चक्रव्यूह, निर्दलीय के हाथों वाराणसी एमएलसी चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार

पीएम मोदी भी नहीं तोड़ पाए ढाई दशक पुराना चक्रव्यूह, निर्दलीय के हाथों वाराणसी एमएलसी चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार

VARANASI : यूपी विधानसभा चुनाव को खत्म हुए अभी एक महीने का समय ही गुजरा है। जब बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की थी। लेकिन एमएलसी चुनाव में स्थिति बिल्कुल बदली हुई नजर आ रही है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रधानमंत्री मोदी के गढ़ में वाराणसी में देखने को मिला है। यहां एक निर्दलीय महिला प्रत्याशी के हाथों बीजेपी कैंडिडेट को करारी हार का सामना करना पड़ा है। स्थिति यह है कि बीजेपी प्रत्याशी को चुनाव में तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा है। 

24 साल से एक ही परिवार का कब्जा

बता दें कि 24 वर्ष से बनारस की इस सीट पर केंद्रीय जेल में बंद बृजेश सिंह या उनके परिवार का ही कब्जा रहा है। निवर्तमान एमएलसी बृजेश सिंह के बड़े भाई उदयभान सिंह उर्फ चुलबुल सिंह एमएलसी सीट पर 1998 में एमएलसी बने। दो बार एमएलसी चुने गए और पंचायत चुनाव में उनका दबदबा जगजाहिर ही है। इसके बाद 2010 में बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह बसपा के टिकट से इस सीट पर एमएलसी बनी। इसके बाद वर्ष 2016 में बृजेश सिंह मैदान में उतरे तो भाजपा ने उन्हें समर्थन दिया और उनके खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारा। लेकिन इस बार भाजपा ने यहां से सुदामा पटेल को मौका दिया था। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिला। वाराणसी सीट पर बृजेश सिंह की पत्नी जीतने में कामयाब रहीं।


अन्नपूर्णा ने दर्ज की शानदार जीत

एमएलसी चुनाव में बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़ी थी। लेकिन उन्होंने बता दिया कि देश में भले ही पीएम मोदी का डंका बजता हो, लेकिन वाराणसी के एमएलसी चुनाव में एक ही परिवार का दबदबा रहता है। चुनाव परिणाम इस बात के सबूत हैं।  यहां अंतिम चक्र की मतगणना में सपा के उमेश यादव को 345, भाजपा के डॉ सुदामा पटेल को 170 वोट मिले। वहीं, निर्दलीय अन्न पूर्णा सिंह ने 4234 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। इसमें 127 कुल निरस्त मतपत्र मिले।

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