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सर्टिफिकेट फर्जीवाड़े में बड़े रैकेट का खुलासा, पूर्व प्रधानाचार्य गिरफ्तार

सर्टिफिकेट फर्जीवाड़े में बड़े रैकेट का खुलासा, पूर्व प्रधानाचार्य गिरफ्तार

फर्जी सर्टिफिकेट मामले में देवराहा बाबा कॉलेज के प्रधानाचार्य सहित पांच आरोपियों को फारबिसगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। बता दें कि भारत-नेपाल के छात्र-छात्राओं को मैट्रिक और इंटरमीडिएट का फर्जी सर्टीफिकेट बेचने की सूचना पुलिस को कई दिनों से मिल रही थी, उसी आधार पर ये कार्रवाई की गयी है। पुलिस ने इस मामले में शनिवार को शहर के अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी कर  बीडीबीकेएस कॉलेज के वर्तमान प्रधानाचार्य सहित पांच सहयोगी जिसमें दो पूर्व प्रधानाचार्य, एक क्लर्क एवं एक अन्य सदस्य को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। जेल भेजे गये लोगों मे फारबिसगंज के देवराहा बाबा कॉलेज के वर्तमान प्रधानाचार्य  प्रो.अनिल कुमार, पूर्व प्रधानाचार्य प्रो. लक्ष्मण प्रसाद मेहता, प्रो. अशोक कुमार यादव,  कॉलेज के क्लर्क राजेन्द्र मंडल और सहयोगी पप्पू गुप्ता शामिल हैं। 

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मामले की पुष्टि करते हुए फारबिसगंज थानाध्यक्ष मुकेश कुमार साहा ने बताया कि इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी फारबिसगंज थानाकाण्ड संख्या 250/99 के आलोक में  की गयी है। इनपर भारत-नेपाल के छात्र-छात्राओं को फर्जी तरीके से मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा के नाम पर आर्थिक दोहन कर  फर्जी डिग्री बेचने का आरोप है। जानकारों के मुताबिक शिकायत मिलने पर फारबिसगंज और पटना पुलिस की टीम द्वारा संयुक्त रूप से छापेमारी की गयी, जिसमें मुख्य आरोपी समरेंद्र देव, राकेश पूर्वे,  सीताराम पूर्वे,  हेड क्लर्क कौशल किशोर वर्मा नवीन वर्मा आदि को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है, जो फिलहाल न्यायालय से जमानत पर हैं। मामले को लेकर छापेमारी के दौरान कई आपत्तिजनक सामान जैसे  फर्जी सर्टीफिकेट, विभिन्न कॉलेजों के स्टांपमोहर आदि भी बरामद किया गया था। इस मामले में फारबिसगंज थाना के तत्कालीन अवर निरीक्षक बैजनाथ कुंवर के द्वारा 14 लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, जिसमें पांच आरोपी जेल जाने के बाद जमानत पर रिहा हैं जबकि एक आरोपी युगल किशोर चौधरी की मौत हो चुकी है। 

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फर्जीवाड़ा के इस खेल में  दो नेपाली नागरिक सीता संझुवा एवं सीताराम चौधरी के अलावा सुमन कुमार दत्त  पटना का निवासी भी शामिल है। इसके अलावे शेष बचे पांच आरोपी विगत 19 वर्षों से पुलिस की नज़र में फरार बताये जाते थे। उक्त मामला 2 अगस्त 1999  को दर्ज किया गया था। इधर, पुलिस द्वारा की गयी इस कार्रवाई से फर्जी डिग्री बेचने वाले शिक्षा माफियाओं के बीच हड़कंप मच गया है वहीं पुलिस ने एक अन्य आरोपी पटना के सुमन दत्त की गिरफ्तारी जल्द कर लेने का दावा किया है।

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