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फ़ूड विभाग के मिलीभगत से धड़ल्ले से बिक रही है नकली खोया और सिंथेटिक मिठाईयां,ठगी के शिकार हो रहे ग्राहक और मालामाल हो रहे अधिकारी

फ़ूड विभाग के मिलीभगत से धड़ल्ले से बिक रही है नकली खोया और सिंथेटिक मिठाईयां,ठगी के शिकार हो रहे ग्राहक और मालामाल हो रहे अधिकारी

MOTIHARI : दिपावाली पर आप बाजार से अपनी मनपसंद की मिठाइयां खरीदने जा रहे हैं तो सावधान हो जाइए। मोतिहारी के छोटे से बड़े  कुछ  होटलों को छोड़कर अधिकांश में  मिलावटी सिंथेटिक मिठाईयां धड़ल्ले से बेची जा रही है। मोतिहारी शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में मिठाई के नाम पर लोगों को मीठा जहर बेचा जा रहा है। मिलावटी मावे और सिंथेटिक रंगों से तैयार मिठाइयां सेहत पर कितना ख़तरनाक असर करती है यह बात किसी से छिपी नहीं है। खाद्य विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि हर आम आदमी इसकी जद में हैं।

 विभागीय उदासीनता के चलते नगर की अधिकांश दुकानों पर मिलावटी मिठाइयों की बिक्री खुलेआम की जा रही है।इसके एवज में फूड विभाग व छोटे बड़े अधिकारियों को लिफाफा के साथ मिठाइयों के पैकेट दुकानदार द्वारा पहुचकर निर्भीक होकर मिलावटी मिठाई बेची जा रही है ।मिठाई दुकान जांच व सैंपल लेने के नाम पर भी बड़ी खेल से इंकार नही किया जा सकता।जिला में अबतक मिलावटी सरसो तेल से लेकर मिठाई का दर्जनों बार सैंपल जांच के नामपर लेकर करवाई के नाम पर सिर्फ खेल ही किया जाता है ।जांच के बाद आजतक किसी सैंपल का रिपोर्ट नही आता है नही कोई करवाई होती है ।जिला मुख्यालय से लेकर अनुमंडल क्षेत्र में फूड विभाग के नाम पर दुकानदारों से खूब वसूली का खेल होने के बात से इंकार नहीं किया जा सकता।

 जिला मुख्यालय से लेकर गांव स्तर तक तरह तरह के कैमिकल और सिंथेटिक रंगों का भी प्रयोग कर मिठाई बनाया जा रहा है। कई कारोबारी तो गोरखपुर,पटना सहित दूसरे क्षेत्रों से बनी बनाई मिलावटी मिठाइयां मंगवाकर ग्राहकों को बेच रहे हैं। चकिया प्रखंड के चकबरा गांव तो इस तरह की मिठाइयों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण जगह बना हुआ है। नगर में भी नकली मिठाई चोरी छिपे बनाई जाती है। प्रसाद में चढ़ाए जाने वाले लड्डू से लेकर मिल्ककेक तक तैयार मिठाइयां नगर और आसपास के क्षेत्रों में सप्लाई की जाती हैं। कम लागत और अधिक मुनाफे की लालच में कारोबारी लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने से जरा भी परवाह नहीं करते हैं।


 चकिया के ग्रामीण इलाके के दुकानदार रामलोचन कुमार का कहना है कि चकिया से होलसेल दुकानदार यह मिठाइयों की सप्लाई करता है। जो एक सौ रुपये किलो में रसगुल्ला और लालमोहन देता है। आराम से इस मिठाइयों को दो सौ रूपये किलो की दर से बिक जाती है। कैसे बनती है यह मिठाईया दुकानदार को भी जानकारी नही है। चकिया अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सक सौरभ कुमार पांडेय बताते है कि इन मिठाइयों के सेवन से खासकर बच्चों के स्वास्थ्य पर खतरनाक असर पड़ रहा है। ऐसी मिठाइयों से लीवर, किडनी सहित महत्वपूर्ण अंगों के खराब होने  का खतरा बना रहता है।

 हालांकि दिवाली के शोर से खाद्य विभाग की नींद  टूटी तो शहर के तीन चार दुकानों का सैंपल लेकर जांच करने की बात कहकर खाना पूर्ति कर लिया गया। मिलावट खोरों के खिलाफ कोई अभियान भी नही चलाया जा रहा है। बेखौफ कारोबारी सिंथेटिक मिठाइयों का चोरी-छिपे धंधा शहर और इससे सटे देहात क्षेत्रों में चला रहा है। इतना बड़ा मौत का खेल चल रहा है लेकिन प्रशासन कुंभकर्णी नींद में सोई हुई है। समय रहते अगर प्रशासन नही जगी तो एक बड़ी अनहोनी को कोई नही रोक सकता है।

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