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औरंगाबाद में किसानों की बढ़ी परेशानी, दिन में बंद रहते हैं खाद के दुकान, रात में होती है कालाबाजारी

औरंगाबाद में किसानों की बढ़ी परेशानी, दिन में बंद रहते हैं खाद के दुकान, रात में होती है कालाबाजारी

AURANGABAD : जिले में जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण आज उर्वरक को लेकर किसान दर दर की ठोकर खाते चल रहे हैं। जबकि उर्वरक जिला में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। अगर बिस्कोमान को हटा दें तो जिला में जितने भी खुदरा दुकानदार हैं। वह सारे दुकानदार दिन के उजाले में उर्वरक बेचना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं। जितने भी कृषि विभाग से मानता प्राप्त खुदरा उर्वरक विक्रेता है। वह दिन के उजाले में अपने दुकान में ताले लटकाए रहते हैं और सूर्य ढलते ही ताले खुलना शुरू हो जाते है। किसानों से 1600 तथा 1700 रुपया प्रति बैग लेकर खाद बेचा जाता है। जो भी किसान वहां खाद लेने पहुंचते हैं विक्रेता उन्हें चुपके से खाद निकाल कर दे देता है। 

जिला के सभी बिस्कोमान में किसान हजारों की संख्या में कतार बद्ध तरीके से खड़े होने पर मजबूर हैं। लेकिन यहाँ भी छोटे किसानों को खाद नही मिल पाता है क्यों कि बाबू टेलिफोनिक संपर्क के आधार पर अपना खाद लेकर निकल जाते हैं और छोटे किसान लाइन में खड़े रह जाते है। जिसको लेकर किसानों ने आपत्ति जताया है। उन्होंने जिला प्रशासन से गुहार लगाया है कि जब जिला में हर छोटे बड़े उर्वरक विक्रेता के दुकान में खाध उपलब्ध है तो क्यो नही जिला प्रशासन हर उर्वरक विक्रेता के पास अपने कर्मचारी तथा अधिकारी के ही नेतृत्व में खाद का वितरण करा दे। जिससे छोटे तबके के भी किसान को खाद उचित मूल्य पर सहजता से मिल सके। 

हालांकि जब इस बिंदु पर जिला कृषि पदाधिकारी से वार्ता किया गया। उन्होंने वैसे दुकानदारों को कड़ी चेतावनी दी है जो निर्धारित मूल्य से ज्यादा में खाद बेच रहे है। उन्होंने यह भी कहा है कि अगर गलत करते कोई भी दुकानदार पकड़े गए तो उन्हें बक्सा नही जायेगा। वह सलाखें के पीछे होंगे।

औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट 

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