NEW DELHI : कई राज्यों में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने शनिवार को सब्जियों, दूध और फलों को
सड़कों पर फेंक दिया और शहरों में इन चीजों की सप्लाई रोक दी। किसानों ने कर्ज माफी और फसलों के सही
दाम की मांग को लेकर शुरू किए गए 10 दिन के
अपने आंदोलन के तहत ऐसा किया. किसान
संगठनों ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य
प्रदेश और महाराष्ट्र में मंडियों और थोक बाजारों में हड़ताल करने का आह्वान किया है. इससे सब्जियों, फलों की किल्लत और दाम बढ़ने
की आशंका पैदा हो गई है. दिल्ली की ओखला मंडी में सब्जी वेंडरों का कहना है कि
किसानों के प्रदर्शन से सब्जियों की कीमतें बढ़ गई हैं। मध्य प्रदेश और पंजाब के अवावा बाकी राज्यों में आंदोलन का
खासा प्रभाव देखने को नहीं मिला लेकिन राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ (आरकेएमएम) के
संयोजक शिवकुमार शर्मा ने भोपाल में दावा किया कि 22 राज्यों में ‘गांव बंद’ आंदोलन का आयोजन किया जा रहा है. पुलिस मध्य प्रदेश के मंदसौर
में कड़ी सतर्कता बरत रही है. पिछले साल छह जून को किसानों के प्रदर्शन के दौरान
यहां पुलिस गोलीबारी में छह किसानों की मौत हो गई थी।पंजाब के किसानों ने 10 दिन के अपने प्रदर्शन को किसान अवकास का नाम दिया है. लुधियाना
में प्रदर्शन के दूसरे दिन किसानों ने सब्जियों और फलों की सप्लाई रोक दी.
इस आंदोलन के आखिरी दिन यानी दस जून को भारत बंद की तैयारी है.
मंदसौर के एसपी ने कहा कि जिले में अब तक किसी भी अप्रिय घटना की कोई सूचना नहीं
है. उन्होंने कहा, ‘मध्य
प्रदेश पुलिस के एसएएफ की पांच कंपनियां जिले में नजर रख रही हैं.’ किसान एकता मंच और राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले एक से
दस जून तक सप्लाई रोकने का फैसला किया गया है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को किसानों
के प्रदर्शन पर अपनी बात रखी. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि किसानों के पास कोई
मुद्दे नहीं है इसीलिए प्रदर्शन कर रहे हैं. वे बेकार
मुद्दों पर अपना ध्यान लगा रहे हैं. अगर वे कृषि उत्पाद नहीं बेचेंगे, तो इससे उन्हीं को घाटा होगा. पंजाब में कुछ स्थानों पर किसानों ने विरोध करते हुए सब्जियों
और दूध को सड़कों पर फेंक दिया. उधर, महाराष्ट्र
के अहमदनगर जिले के अकोले तहसील में किसानों ने जुलूस निकाला। किसानों की मांग है
कि सरकार न्यूनतम आय गारंटी योजना, स्वामीनाथन
आयोग की रिपोर्ट को लागू करे और उनके कर्ज पूरी तरह माफ कर दिए जाएं।