पटना : वैश्विक महामारी कोरोना का भारी भय घूसखोर कर्मचारियों पर भी जबरदस्त ढंग से देखने को मिल रहा है। वहीं निगरानी के द्वारा महीने में घूसखोर कर्मचारियों की रंगे हाथ की जाने वाली गिरफ्तारी भी करीब-करीब रुक गई है। कोरोना जो सिर्फ छू लेने और छींक देने भर से हो जाता है इसका सीधा असर घूसखोर कर्मचारियों और रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तारी पर पड़ा है। फरवरी महीने के बाद से एक भी रिश्वतखोरी का मामला सामने नहीं आया है।
अमूमन रिश्वतखोर कर्मचारियों की रंगे हाथ गिरफ्तार गिरफ्तारी खबरों की सुर्खियां बनी रहती थी। लेकिन फरवरी के बाद से रिश्वतखोरी के मामले में कोई भी कार्रवाई देखने को नहीं मिला है। गौरतलब है कि कोरोना के बारे में यह विदित है कि यह बीमारी नोट के माध्यम से भी हो सकता है। महज छू लेने भर से हो जाने वाली बीमारी का भय ऐसा है कि रिश्वतखोर कर्मचारीयों पर भी देखा जा रहा है। कोरोना संकट में लगे लॉक डाउन में कार्यालयों के बन्द रहना भी इसका एक कारण हो सकता है।
आंकड़े बताते हैं कि महीने में निगरानी के द्वारा तीन से चार रिश्वतखोर कर्मचारियों की गिरफ्तारी हो जाती थी। लेकिन फरबरी के बाद से ही रिश्वतखोर कर्मचारियों रंगेहाथ गिरफ्तारी शून्य है। निगरानी विभाग के अधिकारियों का मानना है की लॉक डाउन की वजह से भी इस तरह की शिकायतें फिलहाल सामने नहीं आ रही हैं। सरकारी दफ्तरों के लगातार बंद रहने से भी इस पर असर आया है।
विजिलेंस ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है अगर कोई रिश्वतखोरी की शिकायत आती है तो कार्रवाई जरूर की जाएगी कार्रवाई के दौरान कोविड-19 को लेकर जो मानक तय किए गए हैं उसका अनुपालन करना जरूरी होगा। क्योंकि इसका ध्यान रखना होगा कि कि रंगे हाथ गिरफ्तारी के चक्कर में कोई अफसर या कर में कोरोनावायरस का शिकार न हो जाए।