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पकड़े जाने के डर से 2086 शिक्षकों ने नहीं जमा कराए अपने दस्तावेज, अब नौकरी पर लटकी तलवार, विजिलेंस ने सभी के नाम भी किए सार्वजनिक

पकड़े जाने के डर से 2086 शिक्षकों ने नहीं जमा कराए अपने दस्तावेज, अब नौकरी पर लटकी तलवार, विजिलेंस ने सभी के नाम भी किए सार्वजनिक

CHHAPRA : सारण में एक बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां 2086 नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटकती नजर आ रही है। यदि ये तय समय के पहले अपने कागजात के जमा नहीं कराया तो इनकी नौकरी निश्चित रूप से जाएगी। दरअसल इन सभी ने जांच से बचने के लिए अपने कागजात जमा नहीं कराए है। विजिलेंस ने भी इसे लेकर कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दे दी है और कोर्ट से कहा है कि उन्हें इनका न कोई कागजात वाला फोल्डर मिला है और न ही इनके संबंध में कोई जानकारी। ऐसे में इन शिक्षकों की परेशानी बढ़ना लाजिमी है।

क्या है पूरा मामला

राज्य सरकार ने विभिन्न चरणों के तहत 2006 से लेकर 2015 तक शिक्षकों की बहाली की। यह बहाली मेधा के आधार पर हुई थी। इसमें कई नियोजन इकाईयों ने अवैध कमाई के लिए काफी घालमेल किया और नियमों को ताक पर रख अयोग्य अभ्यर्थियों को भी शिक्षक की नौकरी दे दी। इनमें नॉनमैट्रिक व जाली प्रमाण पत्र वाले भी अभ्यर्थी शामिल हैं। इसे रोकने के लिए तब सरकार ने टीईटी व एसटीईटी की बाध्यता लगाई। पर इसके भी जाली प्रमाण पत्र व अंक पत्र सारण में सैकड़ों की संख्या में आए और बहाली भी करा ली गयी। मामले को गंभीर होता देख पूरे राज्य के शिक्षक बहाली की जांच निगरानी के हवाले कर दी गयी। इसमें हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया था और जांच अपनी देख रेख में करानी शुरू की। जांच में ऐसे-ऐसे खुलासे हुए कि सरकार की भी आंख-भौं तन गई। फिर एफआईआर व अन्य कार्रवाई शुरू हो गई। बावजूद काफी संख्या में फर्जी शिक्षक ढीठता दिखाते हुए जमें हुए हैं। ऐसे ही शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए निगरानी ने सरकार व हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट दी है। अब इनके नाम सार्वजनिक कर इनसे कागजात जमा कराने को कहा गया है।

शिक्षा विभाग में 14105 शिक्षकों के कागजात जमा होने के दावे को विजिलेंस ने किया खारिज

सारण का शिक्षा विभाग अभी तक शिक्षकों के बचाव में दिख रहा है। अधिकारियों के अनुसार जितने भी शिक्षक हैं उन सबके कागजात विजिलेंस को हस्तगत करा दिया गया है। पर विजिलेंस ने हाईकोर्ट व विभाग को दिए रिपोर्ट में मात्र 12019 फोल्डर ही रिसीव करने की बात कही है। यानि 2086 फोल्डर पर जाकर मामला अटक जा रहा है। ये 2086 फोल्डर गए तो कहां गए, या फिर मिले ही नहीं। किसका दावा सही है और किसका गलत ये तो आने वाला समय ही बताएगा। बहरहाल अभी जांच ने रफ्तार पकड़ी है और जिनका फोल्डर जमा नहीं है उनके पसीने आ रहे हैं। यदि तय समय के अंदर ये कागजात जमा नहीं कराते हैं तो इनकी नौकरी जाएगी ही। हालांकि 2086 फोल्डर के बारे में विभाग का कहना है कि विजिलेंस ने इसे आधा अधूरा करार दिया है।

2086 में से 214 रिटायर, सेवानिवृत व रिजाइन मार दिए

विजिलेंस जांच की प्रक्रिया इतनी धीमी है कि 2006 की बहाली की जांच अभी तक पूरी नहीं हो पायी है और जिन 2086 फोल्डरों के नहीं मिलने की बात हो रही है उनमें से 214 रिटायर, सेवानिवृत और रिजाईन तक मार दिए हैं। यानि इनके खिलाफ कार्रवाई भी विभाग व विजिलेंस नहीं कर पाया। अब मामला 1872 शिक्षकों से की जांच का है। इनकी जांच के लिए ही मुख्यालय ने दबाव बनाना शुरू किया है।

वेबसाइट पर 1872 शिक्षकों के नाम किए गए सार्वजनिक

कागजात जमा नहीं कराने वाले व फोल्डर नहीं देने वाले शिक्षक व नियोजन इकाईयों को अल्टीमेटम दिया गया है कि वे एक सप्ताह के अंदर कागजात को वेबसाइट पर अपलोड करें। इनकी संख्या 1872 है। यानि 2086 में से 214 रिटायर, सेवानिवृत और रिजाईन दे चुके हैं। अब 1872 के ही नाम को सार्वजनिक किया गया है। 

-क्या कहते हैं डीपीओ

हमें जहां तक मालूम है निगरानी को सभी शिक्षकों का फोल्डर उपलब्ध करा दिया गया है। यदि नहीं मिला है तो शिक्षकों व नियोजन इकाईयों को अवसर दिया गया है कि वे ऑनलाइन अपलोड कर इस समस्या का निदान कर दें। यदि अपलोड नहीं करते हैं तो कार्रवाई तो होगी ही। नौकरी भी जाएगी।

सुनील कुमार गुप्ता, डीपीओ, स्थापना, सारण

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