NEW DELHI : भारतीय फुटबॉल पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। फीफा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) पर बैन लगा दिया है. जिसके बाद इस साल अक्टूबर में होनेवाले महिला अंडर-17 फीफा विश्व कप की मेजबानी भी छीन ली है। जिसके बाद अब खुद केंद्र सरकार इसे बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झौंक दी है। मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
मेजबानी बचाने के लिए कोर्ट की आपात बैठक
बताया जा रहा है कि जिस तरह से फीफा ने भारतीय फुटबॉल संघ पर प्रतिबंध लगाया है, उसके बाद अंडर-17 महिला विश्व कप की मेजबानी बचाने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी कोशिशें तेज कर दी है। मंगलवार को खुद केंद सरकार की तरफ के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ से इस मसले पर आपात बैठक बुलाने की मांग की, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
जिस तरह से फीफा ने भारतीय फुटबॉल संघ पर प्रतिबंध लगाया है, उसकी पटकथा दिसंबर 2020 में ही शुरू हो गई थी जब प्रफुल्ल पटेल ने अपना तीसरा कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद एआईएफएफ का अध्यक्ष पद नहीं छोड़ा था. उस समय पटेल ने उच्चतम न्यायालय में 2017 से लंबित मामले का सहारा लेकर सुप्रीम कोर्ट में नए संविधान को लेकर मसला सुलझने तक चुनाव कराने से इंकार कर दिया था।
12 साल से ज्यादा नहीं रह सकते हैं अध्यक्ष
खेल संहिता के अनुसार किसी भी राष्ट्रीय खेल संघ में कोई व्यक्ति अधिकतम 12 साल तक अपने पद पर रह सकता है और प्रफुल्ल पटेल ने वह अवधि पूरी कर ली थी. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और हस्तक्षेप की मांग की गई. अब फीफा ने मामले में तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी को देखते हुए एआईएफएफ को निलंबित कर दिया
पीएम खुद संभाल सकते हैं जिम्मेदारी
जिस तरह यह पूरी घटना हुई है, उसके बाद भारतीय फुटबॉल संघ की काफी छिछालेदार हो गई है। पूर्व में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात में इसके आयोजन का जिक्र कर चुके हैं। अमित शाह भी इसका प्रचार कर चुके हैं। यहां तक कि जून में हुई बैठक में खुद पीएम मोदी ने इसके सफल आयोजन को लेकर अपनी गारंटी दी थी। ऐसे में अब मेजबानी छीने जाने के साथ संघ पर बैन लगने से खुद पीएम मोदी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है।
बता दें कि इस साल 11 अक्टूबर से अंडर -17 महिला विश्व कप की मेजबानी भारत करनेवाला था। लेकिन उससे पहले ही फीफा ने ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन को बैन कर दिया था।