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झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज पर एफआईआर क्लोज, बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में दी जानकारी

झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज पर एफआईआर क्लोज, बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में दी जानकारी

पटना. हाईकोर्ट ने झंझारपुर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एन्ड सेशंस जज अविनाश कुमार-I पर किये गये कथित आक्रमण और मारपीट के मामले की सुनवाई की। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि दर्ज एफआईआर के सम्बंधित क्लोजर रिपोर्ट को सम्बंधित कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है।

पिछली सुनवाई में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि दर्ज एफआईआर का क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत किया जा चुका है। हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए 5 सितम्बर 2022 तक सम्बंधित कोर्ट को अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया था। जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करने के बाद मामले को निष्पादित कर दिया। 

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने निचली अदालतों में जजों की सुरक्षा पर विचार करने के लिए चीफ जस्टिस से एक कमिटी गठित करने का आग्रह किया गया था। पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि बिहार के डीजीपी ने एडीजे अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर प्राथमिकी की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। पिछली सुनवाई में ही कोर्ट ने राज्य सरकार को अविनाश कुमार के विरुद्ध दायर एफआईआर वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किसी न्यायिक पदाधिकारी के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के पहले चीफ जस्टिस की अनुमति जरुरी होती है। इस मामले में इस प्रक्रिया का पालन गलतफहमी में नहीं किया जा सका।

मधुबनी के प्रभारी डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज द्वारा अभूतपूर्व और चौंका देने वाली इस घटना के संबंध में  भेजे गये रिपोर्ट के मद्देनजर राजन गुप्ता की खंडपीठ ने 18 नवंबर 2021 को सुनवाई की थी। ज़िला जज, मधुबनी के द्वारा भेजे गये रिपोर्ट के मुताबिक घटना के दिन तकरीबन 2 बजे दिन में एसएचओ गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने जज अविनाश के चैम्बर में जबरन घुसकर गाली दिया था।

उनके द्वारा विरोध किये जाने पर दोनों पुलिस अधिकारियों ने दुर्व्यवहार और हाथापाई की थी। इतना ही नहीं, दोनों पुलिस अधिकारियों ने उनपर हमला किया और मारपीट की है। साथ ही अपना सर्विस रिवॉल्वर भी निकाल लिया था। कोर्ट ने इस मामलें पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के मामलें को समाप्त करते हुए निष्पादित कर दिया।


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