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मंडरा रहा है बाढ़ का खतरा, ग्रामीणों का जीवन अव्यवस्थित

मंडरा रहा है बाढ़ का खतरा, ग्रामीणों का जीवन अव्यवस्थित

ARA : बाणसागर डैम से पानी छोड़े जाने के बाद गंगा नदी उफान पर है, गंगा अपने खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जिससे बिहार के भोजपुर जिले के कई गाँवों में पानी घुस जाने से ग्रामीणों का जीवन पूरी तरह अव्यवस्थित हो चुका है। ग्रामीणों को भोजन, पानी, बिजली और शिक्षा जैसी तमाम प्राथमिक सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ रहा है। बिहार के भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के बलुआ, पिपरपाती, नरगदा सहित आधा दर्जन गाँवों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है।  लोगों में बाढ़ के कारण डर पूरी तरह अपना पैठ बना चुका है, लोग रात-रात भर जग कर पहरा देने को मजबूर है। लोगों का जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो चुका है।

वहीं दूसरी ओर बता दें कि आज से दो साल पहले वर्ष 2016 में आई भीषण बाढ़ में भोजपुर जिले के इन्हीं बाढ़ प्रभावित गाँवों के लगभग 25 से 30 घर पूरी तरह बर्बाद हो चुके थे, 2016 के भीषण बाढ़ में लोगों के सर से छत का साया उठ चुका था वहीं लोग आज भी गाँव के ही एक स्कूल में आश्रय लिए हुए हैं क्यों कि बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि पिछले बाढ़ से जो बड़े पैमाने पर घर और समान की क्षति हुई थी राज्य सरकार अबतक मुवावजा नहीं दे पाई है। लोगों ने राज्य सरकार के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार एकदम हमारे तमाम परेशानियों से अनभिज्ञ बैठी हुई है जबकि हम इस बार भी बाढ़ से त्रस्त है। दो सालों से लोग आज भी प्रशासनिक बाबुओं की ओर एक उम्मीद की नजर से टकटकी लगाए देखते हैं कि सरकार के नुमाइंदे उनके लिए मदद लेकर आये हैं मगर प्रत्येक बार लोगों को राहत के बजाए मायूसी हाथ लगती है।

आप तस्वीरों में बाढ़ के पानी में ढहते इन मासूमों के सुनहरे सपनों के आशियानों को देख सकते हैं, छोटे-छोटे बच्चों के चेहरों से खुशियां यूँ रूठ गई है मानों जैसी इनके किस्मत में भीषण बाढ़ से जीवन की बर्बादी की गाथा ही लिखी गई है। बहरहाल, देखना यह होगा कि इस रिपोर्ट को देखने के बाद सरकार और सरकार के नुमाइंदों के कानों पर जूं रेंगता भी है या फिर वहीं हालिया स्थिति से इनको भविष्य में भी दो-दो हाथ करना पड़ेगा क्यों कि इसबार के भी बढ़ते जलस्तर से लोग काफी डरे हुए हैं। बाढ़ से डर का भय सताने के कारण लोग अपना आशियाना छोड़ने पर मजबूर हैं। लोगों ने पहले ही दरवाजे, चौखट, खिड़कियां, चारपाई और अनाजों के कोठरियों सहित जरूरी के सामानों को सुरक्षित स्थानों पर हटा दिया है मगर उनकी परेशानी अभी खत्म नहीं हुई है बल्कि अल्पसमय के लिए टली है। मगर आप साफ देख सकते हैं कि बढ़ते जलस्तर और पानी के धार में वृद्धि के कारण लोग पलायन को भी मजबूर हैं। एक सवाल तो यह भी उठता है कि सरकार के नाकामियों से भी कहीं लोग भयभीत तो नहीं कि अगर इसबार ये बर्बाद हुए तो इनका परिवार भुखमरी की कगार पर तो नहीं आ जायेगा... क्यों कि दो वर्ष कम नहीं होते किसी के भी आँख खोलने के लिए...

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