PATNA : बिहार के विश्वविद्यालयों को लेकर शिक्षा विभाग और राजभवन में चल रही खिंचातानी कम होती नजर नहीं आ रही है। नतीजा यह है कि एसीएस केके पाठक की बुलाई मीटिंग में फिर किसी विश्वविद्यालय के कुलपति शामिल नहीं हुए। यह लगातार छठी बार है जब केके पाठक की मीटिंग में शामिल होने से कुलपतियों ने इनकार कर दिया है। अब राज्यपाल सह कुलाधिपति राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने मंगलवार को राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के वीसी की बैठक बुला ली है। इसमें राज्यपाल शिक्षा विभाग के द्वारा भेजे गए पत्र से विश्वविद्यालयों में आ रही बाधा पर चर्चा करेंगे।
शिक्षा विभाग द्वारा सोमवार बुलाई गई सात विश्वविद्यालयों पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय , मुंगेर विश्वविद्यालय, तिलका मांझी भागलपुर विवि , मगध विश्वविद्यालय , नालंदा खुला विश्वविद्यालय , पूर्णिया विश्वविद्यालय और मौलाना महजरूल हक अरबी-फारसी विवि के कुलपतियों को इस बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। यह बैठक उच्च शिक्षा निदेशक द्वारा बुलाई गई थी. इस मीटिंग में विश्वविद्यालयों के वित्तीय प्रबंधन को लेकर आ रही दिक्कतों पर विमर्श किया जाना था. लेकिन कोई कुलपति इस मीटिंग में नहीं पहुंचे। बैठक नहीं होने से राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच अविश्वास की खाई और गहरी हो गयी है.
बता दें कि शिक्षा विभाग और राजभवन में यूनिवर्सिटी के अधिकारों को लेकर लंबे समय से टकराव चल रहा है। पूर्व में विभाग की कुछ बैठकों में कुलपतियों के जाने पर राजभवन की ओर से रोक लगा दी गई थी। इसके बाद केके पाठक के विभाग ने बैठक में नहीं आने वाले कुलपतियों, कुलसचिवों और विश्वविद्यालयों के अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की। उनका वेतन रोक दिया गया। इस पर पदाधिकारियों में गहरा रोष व्याप्त हुआ।
हालांकि, पिछले दिनों राजभवन ने शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल होने की अनुमति यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों को दे दी। इसके बावजूद पिछली दो बैठकों में कोई भी वीसी मीटिंग में नहीं गए।