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दो दिन के विधानसभा की कार्यवाही के लिए सीएम और स्पीकर ने तय किया अपना-अपना एजेंडा, जमकर होगा घमासान

दो दिन के विधानसभा की कार्यवाही के लिए सीएम और स्पीकर ने तय किया अपना-अपना एजेंडा, जमकर होगा घमासान

PATNA : बिहार विधानमंडल की दो दिन की विशेष  बैठक आज से शुरू हो रही है। जिसमें सदन की कार्यवाही में विधानसभा में सबसे पहले किस विषय पर काम किया जाएगा, इसको लेकर विधानसभा सचिवालय और सीएम के बीच आपस में सामंजस्य नहीं बन पा रहा है। जहां सदन की कार्यवाही को लेकर सीएम  से अपना एजेंडा जारी किया गया है। वहीं दूसरी विधानसभा सचिवालय के द्वारा अलग अलग कार्यसूची जारी की गई है। 

विस सचिवालय द्वारा कार्यवाही को लेकर कार्यसूची जारी की गई। जिसमें आज की कार्यवाही में सबसे पहले अध्यक्ष का प्रारंभिक संबोधन, उसके बाद बिहार विधानसभा के समितियों के प्रतिवेदनों का सभा के समक्ष रखा जाना, तीसरे नंबर पर  राज्य सरकार को विश्वास मत हासिल करने की बात कही गई थी। बाद में स्पीकर को हटाए जाने के संकल्प पर विचार करना था। । उन्होंने अध्यक्ष के त्यागपत्र नहीं देने से उत्पन्न संवैधानिक संकट के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का जिम्मेदार ठहराया है।


जरुरत पड़ी तो होगा मतदान

चौधरी ने कहा कि विधानसभा कार्य संचालन नियमावली के नियम-20 में प्रविधान है कि सरकारी कार्य के संपादन के लिए उपलब्ध दिनों में सरकारी कार्य को वरीयता मिलेगी और सदन के नेता द्वारा बताए गए क्रम के अनुसार सचिव कार्यों का विन्यास (कार्य सूची का निर्धारण) करेंगे। उन्होंने कहा कि इसी नियम के तहत बुधवार को सबसे पहले विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होगी। चर्चा की शुरुआत में 38 या उससे अधिक विधायक एक साथ उठ कर मांग करेंगे कि अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकृति मिले और उस पर बहस हो। बहस के बाद जरूरत पड़ी तो मतदान होगा। 

अब तक नहीं हुआ ऐसा

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष उच्च संसदीय परंपरा का पालन नहीं कर रहे हैं। 1964 से अब तक लोकसभा में जब कभी अध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ, उस पर बहस के दिन लोकसभा अध्यक्ष परिसर में नहीं आए। बिहार में नई रीति की शुरुआत हो रही है। जिस तरह की स्थिति बिहार में बन गई है, तो अगर यह परिपाटी बने तो किसी सदन में अध्यक्ष के खिलाफ कभी अविश्वास प्रस्ताव पारित ही नहीं होगा।  उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की मंशा भी संदिग्ध है। भाजपा का नेतृत्व अनुशासन का दावा करता है। इससे पहले विजय कुमार सिन्हा ने कहा था कि वह स्पीकर पद से अपना इस्तीफा नहीं देंगे। 


बहरहाल, जिस तरह से आज सदन में स्पीकर पद को लेकर रस्साकस्सी चल रही है, उसके बाद यह निश्चित है सदन में आज की कार्यवाही में स्पीकर पद को लेकर सरकार और विपक्ष के घमासान होगा। जिसमें दोनों पक्ष एक दूसरे को हराने के लिए तमाम दलीलें और नियम का हवाला देंगे। यह भी रोचक होगा कि अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद विजय कुमार सिन्हा का अगला कदम क्या होगा।


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