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पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा ने बजट को बताया निराशाजनक, कहा बजट में न कोई विजन न ही बिहार को आगे बढाने का संकल्प

पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक नीतीश मिश्रा ने बजट को बताया निराशाजनक, कहा बजट में न कोई विजन न ही बिहार को आगे बढाने का संकल्प

PATNA : अगर यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नही होगी कि बिहार बजट 2023-24 पिछले बजट (एनडीए सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 हेतु प्रस्तुत) को कॉपी-पेस्ट कर बनाया गया है। इस बजट में न तो कोई विजन है और न ही बिहार को आगे बढाने का संकल्प। उक्त बातें बजट पर प्रतिक्रिया के रूप में पूर्व मंत्री सह झंझारपुर के विधायक नीतीश मिश्रा ने कहीं। उन्होंने कहा कि इस बजट से बिहारवासियों को मायूसी हुई है। वार्षिक स्कीम का कुल बजट अनुमान एक लाख करोड़ रुपये है जोकि वित्तीय वर्ष 2022-23 के बराबर ही है। कुल बजट का साठ फीसदी हिस्सा केन्द्रीय मदद है। केन्द्र द्वारा दिए जा रहे 1 लाख 56 हजार करोड़ रुपये में से 1 लाख 2 हज़ार करोड़ रुपये केन्द्रीय कर व शेष 53 हज़ार 377 करोड़ रुपये केन्द्रीय अनुदान के रूप में हैं।

नीतीश मिश्रा ने कहा कि इस बजट में बिहार के प्रमुख विभागों जैसे-शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास आदि में पिछले वर्ष के बजट (एनडीए सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 हेतु प्रस्तुत) की तुलना में कोई वृद्धि नही की गई है। उदाहरण के रूप में ग्रामीण विकास का स्कीम व्यय वर्ष 2022-23 में 15,193 करोड़ रुपये था जोकि इस वर्ष भी 15,193 करोड़ रुपये ही है।

उद्योगों को लेकर इस बजट में रोडमैप का अभाव है। बिहार में उद्योगों के लिए इन्वेस्टमेंट आवश्यक है लेकिन इस बजट में इन्वेस्टमेंट लाने के लिए कोई ठोस योजना नही है। केन्द्र सरकार द्वारा एथेनॉल को लेकर दिए गए सहयोग और एनडीए सरकार के प्रयासों को इस बजट में भुनाने की कोशिश की गई है। इसी प्रकार जीविका जैसी अन्य योजनाएं जो केन्द्र सरकार के सहयोग से संचालित हैं उन्हीं को बजट में दुहराया गया है। लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए इस बजट में कोई प्रावधान नही किया गया है।

पूर्व मंत्री ने कहा कि नौकरियों की सिर्फ घोषणा की गई है। नौकरी देने के लिए कोई रोडमैप इस बजट में नही दिखाई दे रहा है। जिन विभागों में नियुक्तियों की घोषणा हुई हैं उनका बजट उसके अनुरूप नही बढ़ाया गया है। स्पष्ट रूप से इस बजट से बिहार के युवाओं, किसानों, श्रमिकों, महिलाओं और व्यापारियों को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।

विवेकानंद की रिपोर्ट 

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