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बुरी तरह फंस गए मगध विवि के पूर्व वीसी राजेंद्र प्रसाद, जारी हुआ गैर जमानतीय वारंट

बुरी तरह फंस गए मगध विवि के पूर्व वीसी राजेंद्र प्रसाद, जारी हुआ गैर जमानतीय वारंट

PATNA : कॉपी व ई-बुक खरीद में करोड़ों के गबन के मामले में मगध विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डॉ राजेंद्र प्रसाद बुरी तरह से फंस गये हैं। निगरानी के विशेष लोक अभियोजक आनंदी सिंह ने बताया कि डॉ राजेंद्र प्रसाद का अग्रिम आवेदन उच्च न्यायालय द्वारा खारिज होने के बाद गैर जमानतीय वारंट जारी हुआ है। ऐसे में अब उन्हें कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि इसी मामले में नामजद अभियुक्त डॉ पुष्पेंद्र कुमार वर्मा, जयनंदन प्रसाद सिंह, विनोद सिंह, व सुबोध कुमार को उच्च न्यायालय से नियमित जमानत मिल चुकी है।

राजेंद्र के कई ठिकानों पर हुई थी छापेमारी

मगध विश्वविद्यालय में तय कीमत से अधिक दाम पर उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद, प्रश्नपत्रों की छपाई और सुरक्षा गार्डों की संख्या ज्यादा बताकर उनके वेतन भुगतान से संबंधित अनेक वित्तीय अनियमितताओं के आरोप पूर्व वीसी डॉ राजेंद्र प्रसाद पर लगे हैं। इस घटना को लेकर शिक्षा जगत के अलावा राजनीतिक गलियारे में काफी उनकी आलोचना हुई थी। 

सरकार ने भी उनके खिलाफ जांच कराने की मांग करते हुए कुलाधिपति कार्यालय को पत्र लिखा था। भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद कुलपति राजेंद्र प्रसाद के कई ठिकानों पर सतर्कता अन्वेषण ब्यूरो की टीम ने एक साथ छापेमारी की थी। इस कार्रवाई में लाखों की संपत्ति मिली थी।

गिरफ्तारी पर रोक से हाइकोर्ट का इन्कार

इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी. इन आरोपों और जांच के चलते प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद अपने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अवकाश पर चल रहे थे. वित्तीय अनियमितताओं के मामले में पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान न्यायालय ने उन पर लगे वित्तीय अनियमितताओं के मामले में कड़ा रुख अख्तियार किया था और और उनके द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उन्हें गिरफ्तारी पर रोक लगाने की छूट नहीं दी जा सकती।

20 करोड़ के गबन का है आरोप

एमयू के पूर्व वीसी सहित सभी अभियुक्तों पर आरोप है कि विश्वविद्यालय के उच्च पदाधिकारियों ने पद का दुरुपयोग करते हुए आपसी साजिश कर नियमों को ताक पर रख बिना कमेटी की अनुमति के व नियमों का उल्लंघन करते हुए अपने नजदीकी कंपनियों को कॉपी व इ-बुक खरीदने का ठेका देकर करीब 20 करोड़ रुपये का गबन किया है।

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