पटना: हिन्दू नववर्ष के पहले महीने चैत्र के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को लोक आस्था सूर्य उपासना का महापर्व छठ व्रत मनाया जाता है. छठ व्रत अत्यंत ही पवित्र त्यौहार माना गया है, खासकर शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि का व्रत है. मान्यता है कि नहाय-खाय से सप्तमी के पारण तक उन भक्तों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है. महापर्व में भगवान सूर्य देव की आराधना की जाती है. संध्या अघ्र्य के दिन भगवान सूर्य को अस्त होते समय अघ्र्य दिया जाता है और उसके अगले दिन उदयीमान सूर्य को सूर्योदय का अघ्र्य दिया जाता है.
चैती छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान 12 अप्रैल से नहाय-खाय में लौकी की सब्जी और अरवा चावल के भात बना कर छठ व्रती प्रसाद ग्रहण कर नहाय-खाए से चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प लेंगे. 15 अप्रैल शुक्रवार को उदय मान सूर्य भगवान को अघ्र्य अर्पित कर महा पर्व का समापन किया जाएगा. छठ पूजा मैं खरना के प्रसाद का विशेष महत्व माना गया है खरना प्रसाद में छठ व्रती आम के लकड़ी से मिट्टी के चूल्हे पर ईंख के कच्चे रस, गुड़ , अरवा चावल का खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगा महा प्रसाद ग्रहण करती हैं.घर परिवार के लोगों को तथा आगंतुकों को महाप्रसाद देती है.
पटना प्रशासन ने सोशल साइट एक्स पर खतरनाक घोटों कू सूची जारी की है. एक्स में प्रशासन ने पांच घोटों को खतरनाक गोषित किया है. इनमें हल्दीछपरा घाट, जनार्दन घाट, कोयला घाट,लोहरवा घाट और सीता घाट को खतरनाक घोषित किया गया है. श्रद्धालुओं से इन घोटों पर नहीं जाने की सलाह दी गई है.
प्रशासन के अनुसार जल संसाधन विभाग, पटना से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर चैती छठ महापर्व, २०२४ के आयोजन हेतु पाँच घाटों को खतरनाक घोषित किया गया है। इन घाटों का उपयोग प्रतिबंधित है। आम जनता से अनुरोध है कि इन घाटों की ओर न जाएं।
वहीं राजधानी पटना में चैती छठ पूजा की तैयारी जोरों पर है. चैती छठ को लेकर कई लोग यहां पर साफ-सफाई करने में जुटे हैं. लोक आस्था का महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान की तैयारियां जोरों पर चल रही है.
रिपोर्ट- अनिल कुमार/रजनीश यादव