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सूर्योपासना का चार दिवसीय एतवारी छठ व्रत का खरना हुआ सम्पन्न, कल भगवान भास्कर को व्रती देंगी पहली अर्घ्य

सूर्योपासना का चार दिवसीय एतवारी छठ व्रत का खरना हुआ सम्पन्न, कल भगवान भास्कर को व्रती देंगी पहली अर्घ्य

NAWADA: नवादा प्रखण्ड के हरदिया और धमनी पंचायत के दर्जनों गांवों में झारखण्ड के तर्ज पर सूर्योपासना का चार दिवसीय एतवारी छठ को लेकर शनिवार को खरना सम्पन्न हुआ। शुक्रवार को नहाए खाय के साथ इतवारी पर्व शुरू हो गया था। शनिवार को घर को गोबर से लिपाई पुताई कर खरना का प्रसाद तैयार कर पहले छठ व्रती इसे ग्रहण की और फिर भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया।इस दौरान चने के दाल चावल व गुड़ से छठ पूजा में खीर बनाई गई। मान्यता है कि इससे छठ माता ज्यादा खुश होती हैं। तीसरे दिन रविवार शाम में अस्ताचलगामी सूर्य और सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन होगा।

बताते चलें कि छठ महापर्व दो तरह से रजौली में आयोजन किया जाता है। पहला चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से नहाय खाय के साथ शुरू होने वाली छठ महापर्व षष्ठी को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पण कर संपूर्ण किया जाता है तथा इस छठ महापर्व की समाप्ति के बाद पड़ने वाली पहली एतवारी को पूनः छठ घाटों पर साफ-सफाई कर भगवान भाष्कर को रजौली के कई गांवों में अर्घ्य अर्पण कर छठ पूजा को संपन्न किया जाता है। 

इस दौरान भी घरों को साफ सफाई एवं रंग-रोगन कराते हुए ठेकुआ समेत कई तरह के पकवानों को बनाकर नियमाअनुसार बांस के बनी सूप और दऊरा को सजाकर छठ घाटों पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर पर्व को मनाते हैं। ऐसा मान्यता है कि प्रकिया कई सौ वर्षों से यहां के लोग करते आ रहे हैं। वहीं छठ व्रती किरण देवी बताती हैं कि एतवारी छठ पर्व को करने वाले मनचाहा फल प्राप्त करते हैं।

सामान्य तौर पर एतवारी छठ पर्व छोटे पैमाने पर होता है। इसमें व्रतियों की संख्या भी काफी कम होती है। पर्व को लेकर धनार्जय नदी के हरदिया घाट,पननमा घाट के अलावे अन्य घाटों में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे और सूर्य को अर्घ्य देंगे। सबसे पहले नदी तालाब या अन्य जगहों के घाटों पर व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। वहीं दूसरे दिन अपने घरों में ही उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा को संपन्न करते हैं। पूजा कर व्रती पारण करने के उपरांत परिजनों समेत आस पास के लोगों में प्रसाद का वितरण भी करते हैं।

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