MUMBAI: ‘नाम में क्या रखा है?’ जी नहीं, नाम में ही सब कुछ रखा है। भारत में यदि किसी चीज का नाम बदला जाए, तो वह सियासी मुद्दा बन जाता है। हाल के दिनों की बात की जाए तो बीते शुक्रवार को केंद्र सरकार द्वारा खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदल दिया गया। पहले इसे राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाता था, जिसे बदलकर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार’ कर दिया गया।
नाम बदले जाने के बाद से ही इसे सियासी बल मिलने लगा। कई लोगों ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि मेजर ध्यानचंद खेल जगत की मशहूर हस्ती हैं, और उनके नाम से उपाधि मिलना उचित है। वहीं इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए राजीव गांधी को दोबारा पुरस्कारों में जगह दे दी है।
आईटी संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिए मिलेगा अवार्ड
महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर एक पुरस्कार शुरू करने का एलान किया है। विदित हो कि महाराष्ट्र में त्रिकोणीय गठबंधन है जिसमें शिवसेना,कांग्रेस और एनसीपी शामिल है। महाराष्ट्र के सूचना प्रौद्योगिकी और गृह राज्य मंत्री सतेज पाटिल की अध्यक्षता में हुई बैठक में पूर्व पीएम राजीव गांधी के नाम पर राज्य में एक पुरस्कार शुरू करने का निर्णय लिया गया है। यह पुरस्कार केवल सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विशेष काम करने वाले संस्थानों को ही मिलेगा।
क्या है यह अवार्ड देने का लक्ष्य
महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार द्वार लिया गया यह अवार्ड का फैसला संगठनों को सम्मानित करने के लिए दिया जायेगा। यह अवार्ड इस बार 20 अक्टूबर के बाद हर वर्ष 20 अगस्त को दिया जायेगा। राज्य के आईटी मंत्री सतेज पाटील ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि यह पुरस्कार 1984 से 1989 तक देश के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी के भारत में आईटी क्षेत्र को प्रोत्साहन देने में योगदान को सम्मानित करने के लिए है।
केंद्र सरकार ने बदला था खेल पुरस्कार का नाम
आईटी मंत्री के हिसाब से यह फैसला एक महीने पहले ले लिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने बीते सप्ताह खेल पुरस्कारों में से राजीव गांधी का नाम हटा दिया था। हालांकि अचानक से इसका सामने आना भी राजनीति के तहत ही माना जा रहा है। केंद्र सरकार ने पिछले ‘हॉकी के जादूगर’ मेजर ध्यानचन्द्र के नाम खेल रत्न पुरस्कार देने का एलान किया था। इसकी जानकारी खुद देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट करके दी थी एवं कहा था कि कई देशवासियों के आग्रह पर केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है।