VARANASI : कुछ दिन पहले यूपी में गंगा नदी में मिल रही लाशों को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर सवाल उठानेवालों को यूनेस्को ने तगड़ा झटका दिया है। यूनेस्को द्वार प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के गंगा घाट को विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल किया है। जिसके बाद यूपी टूरिज्म ने वाराणसी के गंगा घाट का एक पोस्टर भी जारी किया है।
सारनाथ स्थित पुरातात्विक खंडहर और अन्य संबंधित पुरावशेष दो दशक से यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल है। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार बनारस आने वाला सैलानियों में लगभग 25 फीसद इस स्पाट को देखने आते हैं। अब गंगा घाट को भी विश्व धरोहर में शामिल करने की कवायद चल रही है। हर साल यहां 60 से 65 लाख तक पर्यटक व तीर्थयात्री आते रहे हैं। स्नान, ध्यान के साथ ही ज्ञान गंगाा में गोते लगाते रहे हैं। इस सूची में पहले स्थान पर वाराणसी का गंगा घाट, दूसरे स्थान पर कांचीपुरम के मंदिर, तीसरे स्थान पर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, चौथे स्थान पर हीरे बेंकर महापाषाण स्थल, पांचवें स्थान पर मराठा सैन्य वास्तुकला और छठवें स्थान पर जबलपुर का भेड़ाघाट लमेटाघाट को शामिल किया गया है। विशेष रूप से यहां होनेवाले गंगा आरती दुनिया में प्रसिद्ध है।
गंगा घाट पर सवाल उठानेवालों को मिलेगा जवाब
पिछले कुछ समय से गंगा घाट की चर्चा दूसरे अपने इतिहास के लिए कम और यहां मिलनेवाली लाशों के कारण अधिक हो रहा है। यूपी के उन सभी शहरों में जहां गंगा गुजरती है, वहां के घाटों पर लाश मिलने की बात सामने आई है। जिसके बाद गंगा घाट की छवि को लेकर कई तरह सवाल उठाए गए। ऐसे में वाराणसी के गंगा घाट को विश्व धरोहर में शामिल किए जाने से इस छवि को सुधारने में मिलेगा