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जेल में गैंगवार: जिस शूटर ने मुख्तार के करीबी समेत 2 की हत्या की वो पहली दफे 'बिहार' में हुआ था गिरफ्तार

जेल में गैंगवार: जिस शूटर ने मुख्तार के करीबी समेत 2 की हत्या की वो पहली दफे 'बिहार' में हुआ था गिरफ्तार

DESK: यूपी के चित्रकूट जेल में सीतापुर के शार्प शूटर अंशुल दीक्षित ने कुख्यात मुख्यार गैंग के अपराधी समेत दो टॉप मोस्ट अपराधियों वसीम काला और मिराजुद्दीन को गोलियों से भून डाला। इसके बाद पुलिस ने मुठभेड़ में अंशुल को भी मार गिराया। बताया जाता है कि मिराजुद्दीन मुख्तार गैंग का शातिर अपराधी था। जिस अंशुल दीक्षित ने सीतापुर जेल में अंधाधुंध गोलियां चलाकर दो कुख्यातों को मौत के घाट उतारा वो पहली दफा बिहार में ही हथियार के साथ पकड़ा गया था।  

शातिर अपराधी अंशुल दीक्षित कई महीने से जेल में बंद था। गैंगस्टर वसीम काला और पूर्वांचल के मुख्तार गैंग का गुर्गे मिराजुद्दीन भी चित्रकूट जेल में बंद था। शुक्रवार की सुबह अंशुल दीक्षित ने मौका देख पिस्टल से दोनों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी। जब तक जेल के सुरक्षाकर्मी कुछ समझ पाते कई राउंड गोलियां वसीम और मेराजुद्दीन पर उतार दीं। दोनों कैदियों की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने अंशुल को ललकारा और आत्मसमर्पण करने को कहा, लेकिन उसने सुरक्षा कर्मियों पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में वह पुलिस की गोली से मारा गया। जानकारी के अनुसार मारा गया बदमाश मुकीम सहारनपुर जेल से स्थानांतरित होकर सीतापुर आया था . वहीं मुख्तार का गुर्गा मेराजुद्दीन को बनारस से यहां लाया गया था। 

2008 में पहली बार बिहार में पकड़ा था मारा गया अंशुल

जानकारी के अनुसार अंशुल दीक्षित उर्फ अंशु सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का मूल निवासी  था। उसने लखनऊ विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के बाद अपराधियों के संपर्क में आया।वह भले ही पड़ोसी राज्य यूपी का अपराधी थी लेकिन पहली दफे उसकी गिरफ्तारी बिहार में हुई थी। वर्ष 2008 में वह गोपालगंज के भोरे में अवैध हथियारों के साथ पकड़ा गया था।जेल में रहने के बाद उसे जमानत मिली थी। अंशुल को 2019 दिसंबर तक सुल्तानपुर जेल में बंद था। वहां वीडियो वायरल होने के बाद उसे चित्रकूट कारागार भेजा गया था।अंशु मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था। 27 अक्टूबर 2013 को उसने मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश एसटीएफ पर गोलियां चलाई थीं। दिसंबर 2014 में इसे पकड़ा गया था। चित्रकूट जेल आधुनिक होने के चलते इसे यहां करीब दो साल पहले भेजा गया था। 

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