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सारण के कई पंचायतों में घुसा बाढ़ का पानी, पीड़ितों को सरकारी राहत का इंतज़ार

सारण के कई पंचायतों में घुसा बाढ़ का पानी, पीड़ितों को सरकारी राहत का इंतज़ार

CHAPRA : मशरक प्रखंड क्षेत्र के सभी पंचायतों में बरसात के पानी से फसले डूब चुकी है. वही 10 पंचायत में बाढ़ के उफनते पानी से हजारों घर डूब चुके हैं. हजारों लोग ऊंचे स्थानों या सड़कों के किनारे रहने को मजबूर हो गए हैं. बताते चलें की कर्ण कुदरिया व चांद कुदरिया पंचायत के सभी वार्ड पहले से ही जल मग्न है. 

उस पंचायत में तो घरों के छतों तक बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है. अरना पंचायत के अरना, बलुआ, बारोपुर, छपियां तथा बहरौली पंचायत में बाढ़ के पानी ने कई संपर्क पथ को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर आवागमन को बाधित कर दिया है. इन गांवों का संपर्क प्रखंड सहित अन्य इलाकों से टूटने के लोगों के आने जाने और प्रशासनिक राहत बचाव नहीं पहुंचने से लोग हताश व परेशान हैं. दुर्गौली के चांद बरवा, देवरिया,  डुमरसन, मसरख पश्चिमी पंचायत के सियरभुका, शास्त्री टोला, बेन छपरा, पश्चिम टोला, पूर्वी पंचायत के तख्त गांव पूरब सरेह, बंगरा चौहान टोला, बंगरा पूरब टोला, हांसाफिर, चैनपुर, चरिहारा, कवलपुरा पंचायत के एकावना, बहादुरपुर, कवलपुरा के ग्रामीण सड़क सहित कई घर पानी में डूब गए हैं. 

बाढ़ के पानी से घिरे लोगों को सरकारी राहत का भी इंतजार है. अरना व बहरौली पंचायत के गांवों की बदतर स्थिति का जायजा डीएम ने चार दिन पहले जायजा लिया और शीघ्र राहत उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया. लेकिन निर्देश के बाद भी कर्ण कुदरियां व चांद कुदरियां पंचायत को छोड़ अन्य जगह राहत व बचाव कार्य अब तक शुरू नहीं किया जा सका है. पीड़ितों को तिरपाल, पालीथिन नहीं मिलने से वे खुले छत पर गुजर बसर कर रहे हैं. इधर मशरक-सतरघाट स्टेट हाईवे-90 पर चैनपुर के पास बाढ़ के पानी से सड़क टूटने के कारण बड़े वाहनों के परिचालन पर रोक लगा दी गई है. 

पैदल लोग लाठी के सहारे लोग आ जा रहे हैं. वही अपर समाहर्ता डाँ गगन ने बताया कि सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में घरों में पानी प्रवेश करने पर जो भी लोग ऊंचे स्थानों या हाइवे सड़क किनारे रह रहे हैं उन्हें तिरपाल दी जा रही है और खाने के लिए सामुदायिक किचेन की भी व्यवस्था की जा रही है. अभी तक दो दर्जन से ज्यादा जगहों पर सामुदायिक किचन सेन्टर खोलकर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. जिसमें तीस हजार की संख्या में लोग भोजन कर रहे हैं. वही पीने के पानी के लिए चापाकल लगाएं जा रहें हैं. बाढ़ के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ऊंचे स्थानों पर ही सुविधाओं को शुरू करने की कोशिश की जा रही है.   लगातार क्षेत्रों पर नजर रखी जा रही है. मेडिकल टीम को हर क्षेत्र में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है. 

सारण से कन्हैया की रिपोर्ट 


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