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राज्य के पशुपालन मंत्री के गृह जिले में जब्त मवेशियों को नहीं रखना चाहते हैं गौशाला संचालक, यह बताया कारण

राज्य के पशुपालन मंत्री के गृह जिले में जब्त मवेशियों को नहीं रखना चाहते हैं गौशाला संचालक, यह बताया कारण

KATIHAR : सीमांचल टू बांग्लादेश भाया बंगाल गौ-तस्करी के इस कॉरिडोर को लेकर लगातार चर्चाएं जोरों पर रहता है, समय-समय पर प्रशासन तस्करों पर कार्रवाई भी करते हुए तस्करों को पकड़ने के साथ-साथ गायों को भी जब्त करता है, जिसके बाद प्रशासन इन मवेशियों की देखभाल के लिए स्थानीय गौशाला को सुपुर्द कर देता है। लेकिन अब यहां स्थिति थोड़ी चिंताजनक बनती जा रही है। जिस तरह यहां के गौशाला में जब्त मवेशियो की संख्या बढ़ती जा रही है, उसके बाद अब गौशाल संचालक और मवेशियों को यहां रखना नहीं चाहते हैं। उनका कहना है कि अब इन्हें रखना मुश्किल है।

नहीं मिलता कोई सरकार मदद

 मगर प्रशासन सब कुछ जानते हुए भी इसको लेकर उदासीन रहने की एक खास वजह यह भी है की तस्करी के दौरान जो भी गाय पकड़ी जाती है,उसको रखरखाव को लेकर एक बड़ा परेशानी होता है, ऐसे में अब गौशाला की भी स्थिति यह है कि वहां भी जगह नहीं होने के कारण गौशाला कमेटी तस्करी के दौरान पकड़े गए गाय को लेकर हाथ खड़ा कर देते हैं। गौशाला कमेटी का साफ कहना है कि वह पकड़े गए गायों को रखने के लिए बाध्य नहीं है मगर कमिटी फिर भी सहयोग करते है।जबतक सरकार के तरफ से इसके रखरखाव के लिए कोई सहयोग नहीं दिया जाता है तब तक ये परेशानी बरकरार रहेगा।

चार साल में दोगुनी हुई संख्या

बताते चले अभी गौशाला में 123 गाय है जिसमें साल 2018 से अब तक(2022) 69 गाय अलग-अलग साल अलग-अलग मामले में जब्त कर इस गौशाला को सुपुर्द किया गया था,जिस में 11 गाय मर चुकी है। मगर कोर्ट द्वारा अभी तक बाकी बचे गायों को ले जाने की कोई निर्देश नहीं दिए जाने से गौशाला पर भी एक्स्ट्रा दबाव है।

नया कानून बना मुसीबत

श्री कृष्ण गौशाला के कोषाध्यक्ष ने बताया कि कुछ समय पहले सरकार ने जब्त हुए गायों को लेकर नया कानून बना दिया है। जहां पहले जब्त हुए गायों को कोर्ट से रिलीज करने का प्रावधान था। लेकिन नए कानून में इसे बदल दिया गया है। अब एक बार गायों को जब्त कर यहां लाने के बाद पूरी जिंदगी उनकी देखभाल करनी पड़ती है। जबकि उनके लिए कोई राशि सरकार नहीं देती है। उन्होंने बताया कि गौशाला में एक गाय पर हर दिन 75 से 100 रुपए खर्च होते हैं। साथ ही बढ़े हुए मवेशियों की संख्या के हिसाब से स्टाफ भी रखना पड़ता है। जो सिर्फ चंदे के पैसे से संभव नहीं हो सकता है।

पशुपालन मंत्री इस गौशाला के मेंबर

बड़ी बात ये है कि कटिहार जिला उप-मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री सह पशुपालन मंत्री का गृह जिला है और पशुपालन मंत्री तार किशोर प्रसाद खुद इस कृष्ण गोशाला के मेंबर है,लेकिन इसके बाद भी न तो उन्होंने अपने इस गौशाला, बल्कि राज्य के दूसरे गौशाला को लेकर कोई योजना बनाई है।

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