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जहां दिन के उजाले में भी गुंजते थे लाल सलाम के नारे, वहां स्ट्रॉबेरी की खेती कर नए मुकाम छू रहे दीपक

जहां दिन के उजाले में भी गुंजते थे लाल सलाम के नारे, वहां स्ट्रॉबेरी की खेती कर नए मुकाम छू रहे दीपक

GAYA : जिले के अति उग्रवाद प्रभावित परैया प्रखंड में जहाँ कुछ दिन पहले तक दिन के उजाले में भी लाल सलाम के नारे गूंजते थे. वहां के एक किसान ने अपनी मेहनत के बल पर न सिर्फ सफलता की नई इबारत लिखी, बल्कि औरों को भी इसकी ट्रेनिंग देकर उन्हें स्वरोजगार के साथ इज्जत से जीना सीखा रहे हैं. अपनी मेहनत के बल पर दीपक आज परैया प्रखंड सहित आसपास के इलाके के लोगों के लिए एक मिसाल बनकर उभरे हैं. 

लॉक डाउन में लाखों का नुकसान 

बताते चलें की परैया प्रखंड का रजोई रामपुर पूरी तरह से नक्सल प्रभावित इलाके के रुप में जाना जाता था, लेकिन अब स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जाना जा रहा है. हालांकि पिछले एक वर्ष से कोरोना संक्रमण को लेकर जारी लॉक डाउन और दूसरी तरफ हुई भारी बारिश के कारण स्ट्रॉबेरी के पौधे खराब हो जाने के कारण दीपक को लाखों की क्षति उठानी पड़ी. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. इस वर्ष एक बार फिर से पूरे जोश के साथ करीब तीन एकड़ भूमि में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इसके लिए सरकार की ओर से उन्हें अनुदान भी उपलब्ध कराया गया. 

कोलकाता तक होती है स्ट्रॉबेरी की सप्लाई 

दीपक की माने तो पहले स्ट्रॉबेरी की खेती मूलत: महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में होती थी. यही कारण था कि यहां यह काफी महंगा बिकता था. आज दीपक द्वारा उगाई गई स्ट्रॉबेरी न सिर्फ गया और उसके आसपास के क्षेत्रों बल्कि झारखंड के विभिन्न जिलों और कोलकाता तक सप्लाई किया जा रहा है. दीपक शर्मा के अनुसार उनकी देखादेखी अब आसपास के गांवों के किसान भी पारंपरिक कृषि को छोड़ कम पूंजी में अधिक मुनाफा देने वाली इन चीजों की खेती के प्रति जागरुक हो रहे हैं. 

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट 

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