N4N Desk: हिंदुस्तान को इतिहास और संस्कृति का खजाना कहा जाता है और क्यों ना कहा जाए यहाँ के ऐतिहासिक स्मारक हमारे राजा-महाराजा की गाथा जो सुनाते हैं. 12वीं शताब्दी में कुतुबुद्धीन ऐबक ने कुतुब मीनार का निमार्ण करवाया था. तब उन्होंने ये नहीं सोचा होगा की उनके स्मारक की ऊंचाई को टक्कर एक कचरे का ढेर देगा. दिल्ली में स्थित गाजीपुर लैंडफ़िल साइट, जिसे 15 साल पहले ही बंद हो जाना चाहिए था. इसकी ऊंचाई अब 65 मीटर हो गई है. जो कुतुब मीनार से केवल 8 मीटर कम है.
दिल्ली से निकलने वाला अधिकतर कचरा भलस्वा, ओखला, गाजीपुर और नरेला-बवाना स्थित लैंडफ़िल साइट्स में जाता है. इनमें से भलस्वा, ओखला और गाजीपुर लैंडफ़िल साइट की मियाद 10 साल पहले ही ख़त्म हो चुकी है, लेकिन फिर भी कचड़ा यहीं डाला जाता है.
इसी वजह से गाजीपुर लैंडफ़िल साइट पर कचरे के पहाड़ की ऊंचाई लगातार बढ़ती जा रही है. पिछले साल इसी कचरे के पहाड़ के गिरने की वजह से दो लोगों की जान चली गई थी. तब एलजी अनिल बैजल ने तुरंत यहां कूड़ा डालने पर बैन लगा दिया था. लेकिन पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने यहां फिर से कचरा डालाना शुरू कर दिया.
EDMC के मुख्य इंजीनियर प्रदीप खंडेलवाल ने कहा- 'इस लैंडसाइट की ऊंचाई घटने की बजाए दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. हमारे पास कचरा डालने के लिए नई साइट नहीं है और आर्थिक हालात ऐसे हैं कि नए प्रोजेक्ट शुरू नहीं किए जा सकते. हम हालात के आगे मजबूर हैं.'
सुप्रीम कोर्ट तक ने यहाँ के अधिकारीयों को फटकार लगाई है लेकिन अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती. न तो उनके पास कचरा प्रबंधन का कोई ठोस प्लान है न ही कोई नीति. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उप-राज्यपाल को इस संदर्भ में जल्द से जल्द एक कमेटी का गठन करने का आदेश दिया है. जब हालात ऐसे हो तो प्रदुषण क्यों न बढ़े