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सुशासन की जय हो... BJP नेता-पत्रकार व अफसरों का गठजोड़! करोड़ों की जमीन से अतिक्रमण तो नहीं ही हटा... 25 लाख खर्च कर 'कांटा' सदा के लिए हटवा दिया

सुशासन की जय हो... BJP नेता-पत्रकार व अफसरों का गठजोड़! करोड़ों की जमीन से अतिक्रमण तो नहीं ही हटा... 25 लाख खर्च कर 'कांटा' सदा के लिए हटवा दिया

PATNA: बिहार में सुशासन का राज है। इसी सुशासनी राज में पहुंच-पैरवी वाले हर गलत काम करा लेते हैं। कहने को कानून का राज लेकिन यहां हर गैरकानूनी काम   खुल्लम-खुल्ला हो रहा। बेकसूरों को रास्ते से हटाने के लिए अधिकारी से लेकर नेता और अब तो तथाकथित पत्रकार भी लग गए हैं। अगर आपने माफियाओं-नेताओं और अफसरों की पोल खोली तो जिंदा नहीं बचेंगे। सुशासन राज में आरटीआई कार्यकर्ताओं पर तो आफत सी बरस रही है। ताजा मामला मोतिहारी का है.करोड़ों की जमीन केस में आरटीआई एक्टिविस्ट ने मोतिहारी के एक बड़े बीजेपी नेता की पोल खोली और गलत तरीके से कब्जा किये जमीन पर से पेट्रोल पंप हटाने का आदेश करवा दिया। बेशकीमती जमीन से अफसरों ने अतिक्रमण तो नहीं ही हटाया, कांटा बने शख्स को जरूर दुनिया से खत्म कर दिया गया। मतलब न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी!  है न सुशासन? क्या इसकी जयकारा नहीं होनी चाहिए? 

न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी!

मोतिहारी के हरसिद्धी में एक आरटीआई कार्यकर्ता की हफ्ते भर पहले दिनदहाड़े ब्लॉक गेट पर गोलियों से भून दिया गया था। शुक्रवार को इस मामले का खुलासा हुआ है और दो अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बाद आरटीआई एक्टिविस्ट की हत्या के पीछे जो वजह सामने आई है वो चौंकाने वाली है। मोतिहारी पुलिस की पूछताछ में यह पता चला है कि जमीन से अतिक्रमण हटाने को लेकर बिपिन अग्रवाल की हत्या कराई गई। इस काम के लिए पैसा जमा किया गया और शूटरों को हायर कर आरटीआई एक्टिविस्ट बिपिन अग्रवाल की हत्या कराई गई। इस केस में एक बड़े बीजेपी नेता का नाम आ रहा है। पुलिस ने एक दिन पहले बीजेपी नेता को घर से उठाकर रात भर थाने में पूछताछ भी की है । शुक्रवार की सुबह पीआर बॉंड पर नेताजी को छोड़ा गया है। हालांकि वे अभी भी पुलिस की रडार पर हैं। पुख्ता सबूत मिलने पर नेताजी जेल की हवा भी खा सकते हैं। मोतिहारी एसपी नवीन चंद्र झा भी मानते हैं कि अतिक्रमणकारियों ने साजिश रचकर बिपिन अग्रवाल की हत्या कराई। 

करोड़ों की जमीन पर कब्जा रखना चाहते हैं नेताजी 

आखिर वो कौन सी वजह है जिसको लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट की हत्या की बात सामने आई है। मोतिहारी पुलिस ने एक तथाकथित पत्रकार को भी गिरफ्तार किया है। उससे भी पुलिस को कई अहम सुराग मिले हैं। इसके बाद दो शूटरों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में जमीन से अतिक्रमण हटाने को लेकर हत्या कराये जाने का खुलासा हुआ है। दरअसल बिपिन अग्रवाल ने हरसिद्धी में करोड़ों की जमीन की पोल खोली थी। वो जमीन एक बड़े बीजेपी नेता के कब्जे में था। उसी जमीन पर एक पेट्रोल पंप भी था।   मामला नीचे से होते हुए लोकायुक्त तक पहुंचा। लोकायुक्त ने उस जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया। लेकिन प्रशासन ने उक्त जमीन पर लगे पेट्रोल पंप को तो सील किया लेकिन जमीन से अतिक्रमण आज तक नहीं हटाया।

15 महीने बाद भी जमीन नहीं हुआ खाली पर खुलासा करने वाले की जान चली गई 

 हरसिद्धी प्रखंड कार्यालय के समीप स्थित पेट्रॉल पंप को सील हुए 15 महीने बीतने को है। लेकिन आज तक इस भूमि को अतिक्रमणमुक्त नहीं किया गया। आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल की हत्या के बाद ग्रामीणों में इस बात की चर्चा तेज है। अग्रवाल ने ही लोकायुक्त, पटना के पास याचिका दायर की था। जिसके फैसले आधार पर पेट्रोल पंप को 29 जून, वर्ष 20 में सील कर दिया गया था। तब अरेराज के तत्कालीन एसडीओ धीरेन्द्र कुमार मिश्रा, डीएसपी ज्योति प्रकाश, सीओ सतीश कुमार, थानाध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार सिंह व पुलिस टीम की मौजूदगी में पेट्रोल पंप सील करने की कार्रवाई की गई थी। लोकायुक्त, पटना का निर्णय आने से पूर्व में भी पेट्रॉल पंप की 10 कट्ठा 18 धुर गैरमजरूआ भूमि की जमाबंदी उप समाहर्ता, पूर्वी चंपारण ने रद्द कर दी थी। साथ ही 11 फरवरी, वर्ष 20 को अंचलाधिकारी के पास पत्र भेजकर कार्रवाई का आदेश भी दिया था। उक्त भूमि गैर मजरुआ मालिक, खाता संख्या 93 व खेसरा संख्या 299 की जमाबंदी केशवलाल साह, राजेश्वर साह व महावीर साह के नाम से थी। उक्त पेट्रोल पंप बीजेपी नेता का था। जिसे केशवलाल साह लीज पर लेकर चला रहे थे।

अपर समाहर्ता ने जमीन को बताया गैर मजरूआ,जमाबंदी किया था रद्द

बता दें,भूमि को अतिक्रमणमुक्त कराने को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता विपिन अग्रवाल ने प्रथम बार अरेराज अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के पास याचिका दायर की थी। केस में बताया था कि पेट्रोल पंप वाली जमीन गैरमजरूआ है। इसे फर्जीवाड़ा कर हड़पा गया है। यहां से जमीन की जमाबंदी रद्द करने का मामला अपर समाहर्ता मोतिहारी से होते हुए पटना में लोकायुक्त के पास पहुंचा। लोकायुक्त के फैसले के मुताबिक उक्त भूमि से पेट्रोल पंप से अतिक्रमणमुक्त कराते हुए लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई करनी थी। लेकिन आज तक प्रशासन ने उस जमीन से अतिक्रमण नहीं हटाया। 

कटघरे में प्रशासन 

प्रशासन शायद इस आस में रहा कि दूसरा पक्ष हाईकोर्ट से स्टे-ऑर्डर ले आएगा। मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा है लेकिन अभी तक कोई स्टे का आदेश नहीं दिया है। इसके बाद भी प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। इस संबंध में जब हमने अरेराज के एसडीओ संजीव कुमार से पूछा तो उन्होंने बताया कि लोकायुक्त के आदेश के विरुद्ध पंप संचालक हाई कोर्ट में रिट दायर किया है ।उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट को हमलोग जबाब दिए हैं। कोर्ट के आदेश का इंतजार है। जो आदेश आएगा उसे प्रभावी किया जाएगा । मतलब साफ है कि प्रशासन इस इंतजार में है कि पंप संचालक कोर्ट से स्टे ऑर्डर ले आयेगा। पूरे मामले में प्रशासन कटघरे में खड़ा है। 



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