PATNA : राज्य सरकार पर कोरोना से मरनेवालेों के वास्तविक आंकड़ें छिपाने के आरोप सही साबित होते नजर आ रहे हैं। मई माह में सरकार के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ पटना में ही 446 लोगों की जान कोरोना के कारण गई है। जबकि दूसरी तरफ राजधानी के श्मशान घाटों के रिकार्ड कुछ और सच्चाई बयां करते हैं। पटना के तीन प्रमुख श्मशान घाट बांस घाट, गुलबी घाट और खालेकलां घाट पर कोविड प्रोटोकॉल से 1548 लाशें जलाई गई। इसके अलावा दानापुर घाट, फतुहां घाट और ग्रामीण इलाकों के अन्य घाटों पर कोरोना से मरनेवालों की लाशें जलाई गई है. जिनका कोई रिकार्ड नहीं है। जाहिर है कि रिकार्ड होने पर यहं आंकड़ा और बढ़ सकता था।
रिकार्ड के अनुसार राजधानी के प्रमुख बांस घाट पर प्रोटोकॉल से 901 और अन्य 201 शव जलाए गए। इसी तरह गुलबी घाट पर मई में कोरोना प्रोटोकॉल से 597 और अन्य 854 शव जलाए गए, वहीं खाजेकला घाट पर प्रोटोकॉल से 150 और अन्य 176 शवों का अंतिम संस्कार हुआ। इसके अलावा बताया गया कि फतुहा घाट पर भी गुलबी घाट के बराबर ही लोगों का अंतिम संस्कार हुआ।
ग्रामीण इलाकों के आंकड़ें चौंकानेवाले
ग्रामीण इलाकों के पंचायतों और नगर निकायों से मौत के जो आंकड़ें सामने आए हैं, वह चौंकानेवाले हैं। यहां एक महीने में गांवों से 3609 अर्थियां उठीं। जिनमें 447 लोगों की कोरोना से मौत हुई। इसके अलावा 3162 ऐसे लोगों की मौत हुई जिनकी जांच नहीं हुई लेकिन उनमें कोरोना के लक्षण थे। अगर इसमें शहर का आंकड़ा जोड़ दिया जाए, तो यह संख्या 5 हजार के पार हो जाएंगी, जो कि सरकारी आंकड़ों से लगभग दस गुना अधिक है