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नियोजित शिक्षकों के साथ सरेआम भेदभाव कर रही सरकार , वेतनवृद्धि का राग अलाप कर रही अपमान....

नियोजित शिक्षकों के साथ सरेआम भेदभाव कर रही सरकार , वेतनवृद्धि का राग अलाप कर रही अपमान....

PATNA : उपमुख्यमंत्री सुशिल मोदी द्वारा समान वेतन के बजाय वेतन वृद्धि के बयान पर शिक्षकों में गहरा आक्रोश व्याप्त है । बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति कोर कमिटी सदस्य सह टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक ने उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के बयान पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि बिहार के नियोजित शिक्षकों के साथ सरेआम भेदभाव कर रही सरकार वेतनवृद्धि का राग अलापकर उनका अपमान कर रही है । 

नियोजित शिक्षक वेतनवृद्धि के लिए नही लड़ रहे, उनका हड़ताल पूर्ण वेतनमान सेवाशर्त समेत सहायक शिक्षक और राज्यकर्मी का दर्जा की मांगपर है । शिक्षा का अधिकार कानून और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के मानकों पर खड़े शिक्षकों को सहायक शिक्षक- राज्यकर्मी का दर्जा देना ही होगा । शिक्षा और शिक्षकों की अनदेखी कर प्रदेश का विकास संभव नही है । भेदभाव की बुनियाद पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की लक्ष्य नही हासिल किया जा सकता है । शिक्षक अपनी लड़ाई को मांगें पुरी होने तक जारी रखेंगें ।

गौरतलब है कि उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को विधान परिषद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वक्तव्य को दुहराते हुए कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों को सम्मानजनक वेतनवृद्धि देगी । उन्होने कहा कि शिक्षक हड़ताल नहीं करते, तब भी सरकार उनकी वेतन बढ़ोतरी करती। 

संगठन के प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा कि उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का बयान गैरजिम्मेदाराना है । विपक्ष में रहते पूर्ण वेतनमान की बात करने वाले उपमुख्यमंत्री सत्ता में आते ही शिक्षकों के साथ भेदभाव की बातें कर रहे हैं । हड़ताली शिक्षक सहायक शिक्षक -राज्यकर्मी का दर्जा, पूर्ण वेतनमान सहित समान सेवाशर्त से एक इंच भी पीछे नही हटने वाले हैं ।


शिक्षकों की मांग है की ---

शिक्षा और शिक्षकों की अनदेखी कर प्रदेश का विकास संभव नही

भेदभाव की बुनियाद पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लक्ष्य हासिल करना असंभव 

नियोजित शिक्षकों को वेतनवृद्धि नही- पूर्ण वेतनमान सेवाशर्त समेत सहायक शिक्षक और राज्यकर्मी का दर्जा चाहिए सुशील मोदी जी 

शिक्षा अधिकार कानून का पालन करते हुए नियोजित शिक्षकों को सहायक शिक्षक और राज्यकर्मी घोषित किया जाय 

वित्तिय संकट की आड़ में सरकारी शिक्षा और शिक्षकों की उपेक्षा बंद हो 

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