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बिहार का ऐसा गांव जहाँ हर ग्रामीण करता है पेड़ की रखवाली, मिला है ग्रीन सिटी का दर्जा

बिहार का ऐसा गांव जहाँ हर ग्रामीण करता है पेड़ की रखवाली, मिला है ग्रीन सिटी का दर्जा

कैमूर: जिले को ग्रीन सिटी का दर्जा मिलने के बाद जिला प्रशासन कैमूर जिले से 20 किलोमीटर दूर दादर गांव को ग्रीन विलेज बनाने की कवायद में जुट चुका है। दादर गांव में कुल पांच हजार आबादी है। जहां जिलाधिकारी के पहल पर ग्रामीणों ने उस गांव के हर व्यक्ति, बच्चे, बूढ़े और महिलाओं के नामों पर एक-एक पेड़ लगाया है। तालाब, नहर, खेतों की मेड़, विद्यालय, कब्रिस्तान, हो या ग्रामीणों का घर, हर जगह पौधे दिखाई पड़ते हैं। इन पौधों की रखवाली के लिए किसी एक व्यक्ति की जिम्मेवारी नहीं है, बल्कि पूरे गांव की आबादी जो जिधर से गुजरता है पेड़ों की देखरेख में जुट जाता है। कोई पानी डाल देता है, तो कोई पौधे की मिट्टी को अच्छा कर देता है।


यह दादर गांव कैमूर जिले का ही नहीं बल्कि सुबे का पहला गांव है, जहां आबादी के अनुरूप पौधे लगाए गए हैं। ग्रामीणों ने बताया 15 अगस्त को जिलाधिकारी महोदय का विद्यालय के प्रांगण में कार्यक्रम था स्वच्छता को लेकर, जहां उन्होंने अपने संबोधन के दौरान ग्रामीणों और बच्चों को जागरुक कर रहे थे। तभी पौधारोपण की जब बात आई तो सभी ग्रामीणों ने उनके पहल को मानते हुए हर व्यक्ति के नाम पर एक पौधा लगाने का संकल्प लिया। जिसकी शुरुआत हर व्यक्ति ने पौधे को अपने घरों में लगाते हुए, रास्ते हो, कब्रिस्तान, खेतों की मेड़, या पोखर तालाब, हर जगह पेड़ लगाकर किया। 

ग्रामीणों ने बताया पेड़ से हम लोगों को शुद्ध वायु पेड़ों की छांव मिलता है। जिसके साथ ही पर्यावरण को भी संतुलन बनाए रखने के लिए पेड़ों की आज जरूरत है। तो हम लोगों का गांव जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग इसे ग्रीन विलेज कहते हैं। वहीं मोहनिया अनुमंडल पदाधिकारी शिव कुमार राउत ने बताया जिलाधिकारी के सकारात्मक सोच और ग्रामीणों के जज्बा को देखते हुए जिलाधिकारी ने कैमूर जिले के दादर गांव को ग्रीन विलेज बनाने का तैयारी कर रखा है। हमारे जिले में पहला ऐसा गांव है जहां हर व्यक्ति के नाम पर एक पौधा लगाया गया है। उसके साथ साथ घरों में भी पौधा देखने को मिल जाता है। पौधारोपण का काम यहीं रुका नहीं है, अभी और पौधा तेजी से लगाने का काम जारी है, और उम्मीद है कि हमारा सुबे का पहला ग्रीन विलेज दादर होगा।

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