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गंगा नदी में मछली मारने के लिए देना पड़ता है जीएसटी, अवैध वसूली से मालवाहक जहाजों से लेकर मछुआरे तक परेशान

गंगा नदी में मछली मारने के लिए देना पड़ता है जीएसटी, अवैध वसूली से मालवाहक जहाजों से लेकर मछुआरे तक परेशान

KATIHAR : कटिहार काढ़ागोला गंगा घाट के नाविकों को काढ़ागोला गंगा घाट से शुरू कर मनिहारी गंगा घाट होते हुए झारखंड (साहिबगंज) से मालवाहक बड़ी नाव से बालू, गिट्टी और बोल्डर लाने के लिए बीच गंगा में रंगदारों को रंगदारी टैक्स देना पड़ता है ,स्थानीय नाव चलाने वाले लोग कहते हैं सिर्फ एक नहीं बल्कि कई गिरोह को उफनती गंगा की लहरों में रोजगार के लिए रंगदारी टैक्स देना पड़ता है, 

स्थानीय नाव संचालक इसे कोड वर्ड में जीएसटी यानी गब्बर सिंह टैक्स भी कहते हैं, नाव संचालक कहते हैं। बता दें कि गंगा नदी में दोनों राज्य के तरफ से रिवर पेट्रोलिंग नहीं होता है इसका लाभ लेते हुए अपराधी बिहार से लेकर अधिकतर झारखंड के हिस्सों में उफनती गंगा में रंगदारी टैक्स वसूलते हैं। इस रंगदारी से नाव चलाने वाले लोग काफी परेशान है। लोगों का कहना है कि यह पैसा कोई निर्धारित नहीं कभी 500 और कभी 1000 रुपए प्रति ट्रिप की डिमांड की जाती है। नाविकों का कहना है कि इस बारे में प्रशासन को भी जानकारी है। लेकिन वह कोई कार्रवाई नहीं करते हैं।

विधायक ने बताया बड़ी समस्या

बरारी के स्थानीय जदयू विधायक  उफनती गंगा के लहरों पर कश्ती चलाने के लिए जीएसटी देने को मजबूर लोगो के समस्या को गंभीर बताते हुए इसके निदान के लिए बड़े स्तर तक बात पहुंचने की बात कर रहे है। उनका कहना था कि सरकार ने गंगा-कोसी-महानंदा में मछुआरों को मछली मारने की छूट दी है। इस पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लिया जाता है। लेकिन कुछ लोगों के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

रात्रि में हो गंगा में गश्ती

विधायक ने कहा कि इलाके में झारखंड की तरफ से बड़ी संख्या में लोग आते है। इसके अलाव दियारे में खेती करने के लिए जाते हैं। ऐसे में इन सबकी सुरक्षा होना जरुरी है। मेरी मांग है कि गंगा में रात के समय में गश्ति की व्यवस्था का काम प्रशासन द्वारा किया जाए।

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