PATNA : राजनीति की एक कड़वी सच्चाई यही है कि इसका मकसद हर हाल में जीत है वो भी किसी कीमत पर..लेकिन एक बार फिर से बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को सियासी गच्चा मिला है. वीआरएस लेकर जदयू में शामिल हुए गुप्तेश्वर पांडेय को इस बार चुनाव में उतरने का मौका नहीं मिला. ऐसा कहा जा रहा है कि बक्सर या वाल्मीकिनगर से गुप्तेश्वर पांडेय अंदर अंदर दावेदारी के लिए तैयार थे लेकिन ऐन वक्त पर गुप्तेश्वर पांडेय सियासी खेल में फंस गए.
पूरी तरह नीतीश के साथ हूं
विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके गुप्तेश्वर पांडेय के साथ खेल हो गया.आखिरी वक्त में उनका टिकट कट गया. टिकट कटने के बाद पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने आज कहा कि वो पूरी तरह नीतीश कुमार और एनडीए के साथ हैं. गुप्तेश्वर पांडेय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके चुनाव लड़ने की बात से इंकार किया और कहा कि सुशांत मामले पर मेरा स्टैंड क्लीयर है.
11 साल पहले भी खा गए थे मात
1987 बैच के आईपीएस अफसर रहे गुप्तेश्वर पाण्डेय ने राजनीति में इससे पहले भी उतरने की कोशिश की थी. 2009 में आईजी रहते हुए भी उन्होंने वीआरएस लिया था. बताया जाता है कि वह बक्सर से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे पर टिकट कंर्फ्म नहीं हुआ. बाद में उन्होंने वीआरएस वापस ले लिया. दूसरी दफे चुनावी राजनीति में उतरने के लिए उन्होंने डीजीपी का पद छोड़ दिया सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी में जदयू की सदस्यता भी ली. उनके बक्सर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें काफी दिनों से थी पर मामला उस वक्त फंस गया जब सीट जदयू कोटे की बजाय बीजेपी के खाते में चली गई. लेकिन इसके बाद यह चर्चा थी कि गुप्तेश्वर पांडेय भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं पर बुधवार को उम्मीदवार की घोषणा के साथ यह आस भी खत्म हो गई.