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ललन सिंह को मंत्री नहीं बनाने पर ज्ञानू की सीधी बात – भाजपा में लोग उन्हें पसंद नहीं करते, यही वजह...

ललन सिंह को मंत्री नहीं बनाने पर ज्ञानू की सीधी बात – भाजपा में लोग उन्हें पसंद नहीं करते, यही वजह...

PATNA : कैबिनेट विस्तार भले ही नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का हुआ हो, लेकिन उसका असर बिहार की राजनीति पर भी पड़ा है। विशेषकर जिस तरह से जदयू कोटे से सिर्फ एक मंत्री को मौका मिला हो और पार्टी के कद्दावर नेता ललन सिंह को मंत्री बनने से वंचित कर दिया जाए। उसको लेकर सभी पार्टियों की अपनी अपनी राय है।

जहां चिराग पासवान इसे अपनी और नीतीश कुमार की आपसी दुश्मनी से जोड़ कर देख रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भाजपा के फायर ब्रांड नेता ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने इसे भाजपा की नापसंदगी से जोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र में जदयू कोटे से एक ही व्यक्ति को मौका मिलना था। ऐसे में तय करना था कि यह चेहरा कौन होगा। आखिरकार आरसीपी को मौका दिया गया। भाजपा नेता ने साफ कहा ललन सिंह को मौका नहीं मिलने का मुख्य कारण बीजेपी के बड़े नेताओं में उन्हें कुछ खास पसंद नहीं किया जाता था, यही कारण है ललन सिंह को मोदी कैबिनेट में जगह नहीं दी गई। साथ ही उनके खिलाफ आईबी की रिपोर्ट भी कुछ कारण बन रही थी।

ज्ञानेंद्र ज्ञानू ने जदयू का केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर कहा कि हम एनडीए में साथ हैं। ऐसे में यह अच्छा नहीं लग रहा था कि जदयू केंद्र से अलग रहे। आरसीपी के मंत्री बनने से अब स्थिति बेहतर हो गई है। जहां तक सीएम पर कास्ट की राजनीति करने का आरोप है तो साफ है कि एक ही मंत्री बनना था, इसलिए यह तय था कि किसी पिछड़े को मौका नहीं मिल सकता है। ऐसे में अपने कास्ट के लोगों को मौका दिया।

रविशंकर प्रसाद का काम बेहतर नहीं

ज्ञानू ने इस दौरान केंद्रीय मंत्री पद से रविशंकर प्रसाद को हटाए जाने के फैसले को सही बताया है। उन्होंने कहा कि उनका काम बेहतर नहीं था। टेलीकॉम सेक्टर में कोई सुधार नहीं हो रहा था। ऐसे में प्रधानमंत्री ने उन्हें हटाकर बिल्कुल सही फैसला लिया है। हालांकि उन्होंने सुशील मोदी के मंत्री नहीं बनाए जाने को लेकर मायूसी जाहिर की। ज्ञानू ने कहा कि वह मंत्री बनाए जा सकते थे। 

बचकाने फैसलों से चिराग की दुर्गति

ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने चिराग पासवान के हालत पर चिंता जाहिर की। साथ ही यह भी कह दिया कि यह उनके गलत फैसलों के कारण हुआ। चिराग में अनुभव की कमी थी। उन्होंने सही समय पर सही फैसला नहीं लिया। अपनी जिद और बचकाने फैसले के कारण यह स्थिति हो गई। अगर चिराग गठबंधन से अलग नहीं होते तो आज बेहतर स्थिति में होते। वह खुद भी केंद्र में मंत्री बनते और उनके विधायकों को राज्य में मौका मिलता।


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