DESK : यूनेस्को ने भारत के लिए एक और खुशी के पल प्रदान किए हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने बंगाल के विश्व प्रसिद्ध दुर्गापूजा को अब विश्व के सांस्कृतिक विरासत में शामिल कर लिया है। कल यूनेस्को ने इस बात की घोषणा की। बंगाल का दुर्गापूजा अपनी भव्यता और परंपरा के लिए जाना जाता है। न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग बंगाल का दुर्गापूजा देखने के लिए आते हैं। अब यूनेस्को की मान्यता के बाद इसका महत्व और बढ़ गया है।
दुर्गापूजा के लिए यह लिखा यूनेस्को ने
यूनेस्को ने कहा कि हम भारत और भारतीयों को बधाई देते हैं। हमें उम्मीद है कि दुर्गा पूजा को इंसािनयत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की लिस्ट में शामिल किए जाने के बाद स्थानीय लोग इसे लेकर और ज्यादा उत्साहित होंगे। सांस्कृतिक विरासत केवल निशानियों और वस्तुओं का संकलन नहीं है, इसमें परंपराएं और हमारे पूर्वजों की भावनाएं भी शामिल हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को मिलती हैं।
धर्म, वर्ग और जातियता हो जाता है खत्म
यूनेस्को ने बुधवार को लिखा कि दुर्गा पूजा के दौरान, वर्ग, धर्म और जातीयता का विभाजन टूट जाता है। दुर्गा पूजा को धर्म और कला के पब्लिक परफॉर्मेंस के सबसे अच्छे उदाहरण के साथ-साथ सहयोगी कलाकारों और डिजाइनरों के लिए एक बड़े मौके के रूप में देखा जाता है।
প্রত্যেক ভারতীয়ের জন্য গর্ব ও আনন্দের বিষয়! দুর্গাপূজা আমাদের সাংস্কৃতিক ও আত্মিক বৈশিষ্ট্যর শ্রেষ্ঠ দিকগুলিকে তুলে ধরে। আর, কলকাতার দুর্গাপূজার অভিজ্ঞতা প্রত্যেকের থাকা উচিৎ। https://t.co/DdRBcTGGs9
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2021
पीएम मोदी-ममता बनर्जी ने जताई खुखी
बंगाल के दुर्गा पूजा को सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनेस्को की इस घोषणा पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह हर देशवासी के लिए गर्व का पल है। उधर, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह हर बंगाली के लिए गर्व का पल है। दुर्गा पूजा हमारे लिए पूजा से बढ़कर है। यह हमारे लिए भावना है।
रामलीला और कुंभ को मिल चुकी है मान्यता
यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत में दुर्गा पूजा से पहले 2008 में रामलीला और 2017 में कुंभ मेले को भी इस लिस्ट में महत्वपूर्ण जगह मिली थी। इसके अलावा साल 2016 में नवरोज और योग को भी शामिल किया गया था।