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गया जिले में सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘हर घर नल का जल’ का हाल बेहाल, कही नल तो पानी नहीं, कही पानी तो पाइप में नल नदारद

गया जिले में सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘हर घर नल का जल’ का हाल बेहाल, कही नल तो पानी नहीं, कही पानी तो पाइप में नल नदारद

Gaya : सीएम के सात निश्चय योजना में हर घर नल का जल एक महत्वपूर्ण योजना है। सीएम का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। वहीं सरकार द्वारा यह दावा किया जाता है कि सूबे के सभी जिलों के गांव-गांव तक हर घर नल का जल पहुंचाया जा रहा है। लेकिन मुख्यमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का हाल-बेहाल है। यह योजना शुरुआत में दम तोड़ रही है। 

गया जिले के परैया प्रखंड के कपसिया पंचायत के विनोबा नगर गांव में इस योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितता और कमीशन खोरी का मामला सामने आया है। विनोबा नगर गांव में 'हर घर नल-जल योजना' का हाल यह है कि कहीं नल है तो पानी नहीं आ रहा। तो कहीं पानी आ रहा है तो नल गायब होने की वजह से पानी ऐसे ही बह रहा है। 

इतना ही नहीं इस पंचायत के कुछ गांव ऐसे हैं जहां नल का पाइप तो लगा दिया गया, लेकिन लोग अभी भी पानी आने की बाट जोह रहे हैं। इस योजना में पर्दे के पीछे भी काफी कुछ चल रहा है। काम को निपटाने और पैसे बचाने के मकसद से तय मानकों का ख्याल नहीं रखा जा रहा। 

वहीं जब इस मामले को लेकर कपसिया पंचायत के मुखिया मानती देवी के कार्यभार संभालने वाले एवं वार्ड सचिव के कार्यभार संभाले वाले से इस हालत को लेकर पूछा गया तो उनका जवाब था कि जितना सरकार से पैसा आयेगा उतना ही काम होगा ना..आगे आयेगा तो काम होगा। हम घर से पैसा लगा दें।

बता दें इस योजना के काम का जिम्मा वार्ड सदस्य और वार्ड सचिव को दिया गया है। जिसके तहत राज्य सरकार की ओर से हर वार्ड को 14 से 15 लाख रुपये दिया जा रहा है। यह रकम मुखिया के द्वारा वार्ड सदस्य के खाते में आती है।

दरअसल इस प्रक्रिया के बीच ही बंदरबांट का पूरा खेल होता है।  सबसे पहले कमीशन पर ठेका दिया जाता है। यह कमीशन मुखिया और वार्ड सदस्य की जेब में जाता है। उसके बाद कमीशन से ठेका पा चुका ठेकेदार इस योजना को पलीता लगाने में जुट जाते है और गुणवत्ता को ताक पर रखकर घटिया सामग्री का इस्तेमाल करते है।

गया से मनोज कुमार सिंह की रिपोर्ट

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